प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से मंत्री पद दिए हैं और विभागों का बंटवारा किया है उसे लेकर बिहार में बड़ी नाराजगी है। भाजपा, जदयू और लोजपा के नेताओं के साथ साथ आम लोग भी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। सबसे ज्यादा नाराजगी इस बात को लेकर है कि जब हर नेता के चुनाव प्रचार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आम लोगों से कहते थे कि आप इनको एमपी बनाइए, इनको बड़ा आदमी हम बनाएंगे तो उसका क्या हुआ? शाह ने यह बात नित्यानंद राय के लिए कही थी। तमाम मुश्किलों के बीच लोगों ने उनको चुनाव जीता दिया फिर भी वे गृह राज्य मंत्री ही बने रहे।
इसी तरह गिरिराज सिंह पहले इतने बड़े मंत्री थे। उनको ग्रामीण विकास और पंचायती राज दोनों मंत्रालय मिले थे लेकिन अब क्या हैसियत रह गई? स्मृति ईरानी जिन दो विभागों की मंत्री थीं उनमें से एक कपड़ा उनको मिला है और दूसरे में झारखंड की कैबिनेट मंत्री अन्नपूर्णा देवी एडजस्ट हुई हैं। यानी एक स्मृति ईरानी के मंत्रालय में दो कैबिनेट मंत्री एडजस्ट हुए। इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि जनता दल के समर्थन पर सरकार टिकी है लेकिन उसे एक कैबिनेट मंत्री पद मिला और वह भी पंचायती राज, मछली पालन, पशुपालन और डेयरी का। पिछली बार बिहार के दो ही कैबिनेट मंत्री थे लेकिन उनके खाते में ग्रामीण विकास और ऊर्जा विभाग था। इस बार चार कैबिनेट मंत्री हैं लेकिन पहली और दूसरी श्रेणी में माने जाना वाला एक भी मंत्रालय नहीं मिला। बिहार को तीसरी श्रेणी का राज्य मान कर तीसरी श्रेणी के मंत्रालय दिए गए हैं।