पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों के उपचुनाव हुए थे और उससे पहले लोकसभा चुनाव हुआ था। लोकसभा चुनाव में भाजपा पिछड़ गई थी और सपा सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। लेकिन विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की। नौ सीटों के उपचुनाव के समय भी फैजाबाद लोकसभा के तहत आने वाली मिल्कीपुर विधानसभा सीट खाली थी लेकिन एक मुकदमे की वजह से वहां उपचुनाव नहीं हआ था। अब चुनाव आयोग ने पांच फरवरी को वहां मतदान की घोषणा की है। माना जा रहा है कि इस एक विधानसभा सीट का वजन नौ विधानसभा सीटों के उपचुनाव के बराबर है। इसका कारण यह है कि मिल्कीपुर विधानसभा सीट अवधेश प्रसाद के इस्तीफे से खाली हुई है, जिन्होंने भाजपा के लल्लू सिंह को हरा कर फैजाबाद लोकसभा सीट जीती है।
गौरतलब है कि फैजाबाद लोकसभा सीट के अंदर अयोध्या भी है, जहां पिछले साल जनवरी में भव्य राममंदिर का उद्घाटन हुआ था। लेकिन उसके पांच महीने बाद ही भाजपा वहां लोकसभा का चुनाव हार गई थी। उसके बाद से सपा और कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियों ने वहां से जीते अवधेश प्रसाद को लोकसभा में ट्रॉफी की तरह पेश किया। पहली बार के सांसद अवधेश प्रसाद को अगली कतार में सीट दिलाने के लिए अखिलेश यादव ने पूरा जोर लगाया था। वे दलित समाज से आते है लेकिन सपा ने उनको सामान्य सीट से लड़ाया था और उनका यह दांव कारगर साबित हुआ था। अब सबकी नजरें मिल्कीपुर सीट पर है। पिछली बार यानी 2022 में सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के बाबा गोरखनाथ को 13 हजार वोट से हराया था। उससे पहले 2017 में भाजपा इस सीट से जीती थी। बुनियादी रूप से यह भाजपा की कमजोर सीट रही है। 1967 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ था और तब से अभी तक 17 चुनाव हुए है और जनसंघ व भाजपा सिर्फ तीन बार जीत पाए हैं। सपा ने इस बार सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है और कांग्रेस ने उनका समर्थन किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस सीट पर अपने को दांव पर लगाया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि गलत को सही करने का यह मौका है।