उत्तर प्रदेश की राजनीति बहुत दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है। भाजपा ने 2014 की चुनावी जीत का बाद राज्य की राजनीति पर जो एकाधिकार बनाया था वह 10 साल के बाद खत्म होता दिख रहा है। समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा से ज्यादा सीटें जीत कर राज्य की राजनीति को नई दिशा दी है। अब बहुजन समाज पार्टी को भी लग रहा है कि राज्य में त्रिकोणात्मक राजनीति की स्थिति फिर से बन रही है और ऐसे में बसपा पहले की तरह फिर मजबूत हो सकती है। हालांकि अभी तुरंत बसपा ने कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं शुरू की है लेकिन जल्दी ही पार्टी के राजनीतिक कार्यक्रम शुरू होंगे। बसपा के जानकार नेताओं का कहना है कि अब मायावती ब्रांड की राजनीति नहीं चलने वाली है।
बहुजन समाज पार्टी के अंदर इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि पार्टी को अगर अपना खोया हुआ जनाधार वापस हासिल करना है तो बहनजी को अपने भतीजे आकाश आनंद को आगे करना होगा। गौरतलब है कि मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी बनाया था लेकिन जैसे ही वे चुनाव प्रचार में भाजपा के खिलाफ आक्रामक हुए मायावती ने उनको अपरिपक्व बताते हुए उत्तराधिकारी के साथ साथ पार्टी पद से भी हटा दिया। इस बीच लोकसभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश के मायावती के गढ़ में नगीना सीट से आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद जीत गए। वे अपने को कांशीराम और मायावती का उत्तराधिकारी बता रहे हैं। उनके साथ युवाओं का जुड़ना जारी है। तभी बसपा के नेताओं को लग रहा है कि अगर आकाश आनंद को आगे नहीं किया गया तो दलित वोट का बड़ा हिस्सा खास कर युवा चंद्रशेखर के साथ चले जाएंगे। वोट का बड़ा हिस्सा पहले ही भाजपा और सपा की ओर जा चुका है।