मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपना एक साल पूरा करने जा रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर महीने में ही कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हुआ था। उस समय राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे थे। अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में यात्रा स्थगित करके वे दिल्ली आए थे और खड़गे के अध्यक्ष पद संभालने के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। एक साल बाद भी खड़गे ने अभी तक अपनी टीम नहीं बनाई है। उनके अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस कार्य समिति भंग कर दी गई थी और सभी पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि वह इस्तीफा स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया गया। यानी यथास्थिति बनाए रखी गई।
करीब 10 महीने बाद अगस्त में कांग्रेस कार्य समिति का गठन किया गया। इस बीच छिटपुट प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए गए और एकाध महासचिवों की भी नियुक्ति हुई। अब कांग्रेस के नए कोषाध्यक्ष की नियुक्ति हुई है। अभी तक उनकी टीम पुराने पदाधिकारियों के साथ ही चल रही है। उनके कार्यालय में जरूर चार लोग नियुक्त किए गए, जो समन्वय का काम संभाल रहे हैं। लेकिन महासचिव, प्रभारी महासचिव और सचिव वही है, जो पहले थे। यहां तक कि कांग्रेस के अनुषंगी संगठनों में भी बदलाव नहीं हुआ है।
कन्हैया कुमार को एनएसयूआई का प्रभारी जरूर बनाया गया लेकिन एनएसयूआई के अध्यक्ष, यूथ कांग्रेस व महिला कांग्रेस के अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई। महिला कांग्रेस की प्रभारी अध्यक्ष नेटा डिसूजा हैं और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी का कार्यकाल काफी पहले पूरा हो चुका है। तभी सवाल है कि खड़गे अपनी टीम बनाने में किस बात का इंतजार कर रहे हैं? वे किश्तों में क्यों बदलाव कर रहे हैं? अगर उनको पुरानी टीम ही बनाए रखनी है तब भी उसकी घोषणा करने में देरी नहीं होनी चाहिए। लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा है और बिना पूरी टीम के उसकी तैयारी संभव नहीं है।
कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस पदाधिकारियों की नियुक्ति को कोई ग्रैंड इवेंट नहीं बनाना चाहते हैं। जिस तरह के कार्य समिति की घोषणा के बाद उसका आकलन किया गया और उसमें जातीय व सामाजिक संतुलन खोजे गए, नए व पुराने चेहरों का आकलन हुआ और सोनिया गांधी की बनाई कार्य समिति से तुलना हुई वैसा कुछ खड़गे पदाधिकारियों के मामले में नहीं चाहते हैं। यह भी बताया जा रहा है कि संगठन महासचिव को लेकर फैसला नहीं हो पा रहा है। केसी वेणुगोपाल धीरे धीरे संगठन महासचिव की भूमिका में जम गए हैं। राहुल उनको पसंद करते हैं। इसलिए उनके बारे में फैसला मुश्किल हो रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा की भूमिका तय नहीं है। वे पार्टी की उपाध्यक्ष बनें या संगठन की जिम्मेदारी उनको दी जाए, इस बारे में परिवार को फैसला करना है। जानकार सूत्रों के मुताबिक कुछ पुराने महासचिव हटाए जा सकते हैं। लेकिन उनके लिए दूसरी भूमिका क्या भूमिका हो सकती है यह तय नहीं है। पहले सरकार होती थी तो कुछ नेता सरकार में और कुछ पार्टी में बड़ी भूमिका में होते थे। लेकिन अब सबको पार्टी में ही एडजस्ट करना है इसलिए दिक्कत हो रही है।