maharashtra politics : कांग्रेस और महाराष्ट्र की उसकी सहयोगी पार्टियों ने चुनाव के बाद कई गंभीर आरोप चुनाव आयोग पर लगाए।
चुनाव के तुरंत बाद लगाए गए आरोपों के अलावा चुनाव के कई महीने बीत जाने के बाद तमाम आंकड़ों के साथ राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। (maharashtra politics)
उनके साथ सुप्रिया सुले और संजय राउत भी थे। उनका सबसे मुख्य आरोप यह था कि 2019 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव के बीच यानी पांच साल में जितने मतदाता बढ़े थे उतने मतदाता चुनाव आयोग ने जून 2024 से नवंबर 2024 के बीच पांच महीने में जोड़ दिए।
राहुल ने एक रूपक के जरिए इस बात को समझाते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने पांच महीने में हिमाचल प्रदेश की आबादी के बराबर मतदाता महाराष्ट्र में जोड़ दिए।
उनका दूसरा आरोप था कि राज्य में जितनी वयस्क आबादी है उससे ज्यादा मतदाता हैं। हालांकि इसमें वयस्क आबादी वाला आंकड़ा अनुमान पर आधारित है क्योंकि जनगणना 2011 के बाद नहीं हुई है। (maharashtra politics)
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महाराष्ट्र में ऐसा होत रहा (maharashtra politics)
बहरहाल, जहां तक पांच साल के बराबर मतदाता पांच महीने में जोड़ने की बात है तो पहले भी महाराष्ट्र में ऐसा होत रहा है और दिल्ली में भी ऐसा हुआ है।
जब महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी की सरकार थी तब भी लोकसभा और उसके पांच महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के बीच बड़ी संख्या में मतदाता जुड़ते थे।
राहुल ने कहा कि अप्रैल 2024 से अक्टूबर 2024 के बीच 39 लाख मतदाता महाराष्ट्र में जोड़े गए हैं। उनका कहना था कि 215 दिन के अंतराल में इतने मतदाता जुड़े। (maharashtra politics)
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2004 में जब महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी की सरकार थी तब लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव के बीच 176 दिन के अंतराल में साढ़े 29 लाख मतदाता जुड़े थे। आज से 20 साल पहले आबादी कम थी और समय का अंतराल कम था।
उस लिहाज से उस समय पांच महीने में ज्यादा मतदाता जुड़े थे, जितने अभी जुड़े हैं। ऐसे ही 2009 में लोकसभा और विधानसभा के बीच जब केंद्र व राज्य दोनों जगह कांग्रेस की सरकार थी राज्य में 30 लाख नए मतदाता जुड़े। 2014 में 27 लाख से कुछ ज्यादा मतदाता जुड़े थे। (maharashtra politics)
इस पैमाने पर देखें तो महाराष्ट्र में 39 लाख नए मतदाताओं का जुड़ना कोई बड़ी परिघटना नहीं दिखाई देती है। हां, कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिव सेना और शरद पवार की एनसीपी के पास कुछ अतिरिक्त आंकड़ें हों या जानकारी हो तब अलग बात है।