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पवार परिवार अब एक नहीं होगा!

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अगर सुप्रिया सुले की बात मानें तो अब शरद पवार का परिवार एक नहीं होने वाला है। हालांकि राजनीतिक और पारिवारिक मामलों में भी किसी बात को अंतिम नहीं माना जा सकता है लेकिन ऐसा लग रहा है कि जिस तरह से ठाकरे परिवार में विभाजन हुआ और लगभग दो दशक बीत जाने के बाद भी एकता नहीं हो पाई उसी तरह अब पवार परिवार में भी दिख रहा है। शरद पवार की पार्टी के जानकार नेताओं का कहना है कि अजित पवार ने सीमा पार कर दी है। उन्होंने शरद पवार को निजी तौर पर निशाना बनाया, जिससे वे आहत हुए और जिस दिन अजित पवार ने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को बारामती सीट पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव में उतारा उस दिन संबंधों में स्थायी गांठ बन गई।

शरद पवार का मानना है कि बारामती सीट जीतने का अजित पवार का दांव एक चुनाव भर का मामला नहीं था, बल्कि वे स्थायी रूप से शरद पवार का नेतृत्व समाप्त करके अपना नेतृत्व  स्थापित करना चाहते थे। उस समय शरद पवार ने अपना नेतृत्व बचा लिया। अब वे अजित पवार का नेतृत्व खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए बारामती विधानसभा सीट पर उन्होंने अजित पवार के खिलाफ उनके सगे भतीजे युगेंद्र पवार को उम्मीदवार बनाया है और खुद चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने बारामती के लोगों को 57 साल पहले का अपना पहला चुनाव याद कराया और यह भी कह दिया कि आगे वे चुनाव नहीं लड़ने वाले हैं। अगर इस बार अजित पवार हारते हैं तो स्थायी तौर पर उनकी राजनीति खत्म होगी। फिर वे राज ठाकरे की तरह बियाबान में रहेंगे या सरेंडर करके शरद पवार की शरण में जाएंगे।

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