महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को शिव सेना के बाद अब एनसीपी के बारे में भी फैसला करना है। उसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को 31 जनवरी तक का समय दिया है। उस दिन तक उनको शरद पवार गुट की याचिका पर फैसला करना है। गौरतलब है कि अजित पवार एनसीपी के आठ अन्य विधायकों के साथ जाकर भाजपा की सरकार में शामिल हो गए थे और उप मुख्यमंत्री बन गए थे। शरद पवार गुट ने दलबदल कानून के तहत अजित पवार और अन्य विधायकों की सदस्यता खत्म करने की अपील की है। लेकिन अब कहा जा रहा है कि एनसीपी के 54 में से 40 के करीब विधायक अजित पवार के साथ हैं। तभी सवाल है कि क्या स्पीकर राहुल नार्वेकर एनसीपी के मामले में भी वैसा ही फैसला करेंगे, जैसा उन्होंने शिव सेना के विधायकों के मामले में किया है?
इसमें थोड़ी मुश्किल आ सकती है क्योंकि एनसीपी का मामला शिव सेना से अलग है। तमाम लड़ाई के बाद अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि दोनों चाचा-भतीजे की लड़ाई असली है या नूरा कुश्ती है। दूसरे शिव सेना की तरह अभी एनसीपी के मामले में चुनाव आयोग का फैसला नहीं आया है। शिव सेना की लड़ाई असली थी और चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली मान कर पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह उनको सौंप दिया था इसलिए स्पीकर के लिए फैसला आसान हो गया था। उसी तरह का फैसला एनसीपी के लिए देना थोड़ा मुश्किल होगा। हां, अगर उससे पहले चुनाव आयोग का फैसला आ जाए तो अलग बात है। लेकिन चुनाव आयोग में शरद पवार और अजित पवार दोनों गुट ने मजबूती से अपना दावा पेश किया है।