महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति यानी भाजपा, शिव सेना और एनसीपी के बीच सीट बंटवारे पर लगभग सहमति बन गई है। तीनों पार्टियों के नेताओं ने इस बात का संकेत दिया है कि आपसी सहमति से सीट बंटवारा हुआ है। इसमें अजित पवार की पार्टी सबसे ज्यादा घाटे में रहने वाली है। बताया जा रहा है कि सीट बंटवारे से पहले भाजपा और शिव सेना ने उनके ऊपर इतना दबाव बना दिया कि उनके सामने अकेले लड़ने या चाचा शरद पवार की पार्टी में लौटने के अलावा कोई रास्ता नहीं बच रहा था। तभी कहा जा रहा है कि वे उम्मीद से कम सीट लेकर भी गठबंधन में रहने को राजी हुए हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक उनकी पार्टी को 50 से कम सीटें मिलेंगी। पहले वे 55 से 60 सीटों की मांग कर रहे थे।
जानकार सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और तीनों पार्टियों के नेताओं की बातचीत के बाद सीट बंटवारे पर सहमति बनी। इसके मुताबिक भाजपा डेढ़ सौ सीटों पर लड़ेगी। 288 सदस्यों की विधानसभा मे आधी से ज्यादा सीटें भाजपा लड़ेगी। एकीकृत शिव सेना के साथ तालमेल में भी वह 154 सीटों पर लड़ी थी। बहरहाल, बची हुई सीटों में 90 के करीब सीटों पर एकनाथ शिंदे की पार्टी को लड़ना है। अगर भाजपा डेढ़ सौ एक शिव सेना 90 सीटों पर लड़ेगी तो 48 सीटें बचेंगी, जिसमें से कुछ सीट भाजपा को रामदास अठावले की पार्टी को भी देनी है। कहा जा रहा है कि अजित पवार की पार्टी दबाव बना रही है कि शिव सेना को कुछ सीटें कम दी जाए और एनसीपी की सीट बढ़ाई जाए। इसकी संभावना कम ही दिख रही है। इस बीच एमएलसी की सीटों के बंटवारे का मामला भी रूक गया है। कहा जा रहा है कि वह विधानसभा सीट बंटवारे का ही हिस्सा है।