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शिंदे के सात सांसदों की ताकत ज्यादा बड़ी

Maharashtra politicsImage Source: ANI

Maharashtra politics, दिल्ली में इस बात की बहुत चर्चा रही कि भाजपा क्यों एकनाथ शिंदे को इतना महत्व दे रहे हैं? जब उसके पास अकेले 132 सीटें हैं तो निश्चित रूप से सीएम पद पर उसका दावा है और उसने विधानसभा चुनाव शिंदे के नाम पर लड़ा भी नहीं था, बल्कि चुनाव के समय ही कह दिया गया था कि नतीजों के बाद मुख्यमंत्री तय होगा, फिर क्यों भाजपा उनको मनाने में इतना समय जाया कर रही है? इन सवालों के जवाब मुश्किल नहीं हैं। असल में दो कारणों से भाजपा शिंदे को इतना महत्व दे रही है और महाराष्ट्र में अपना मुख्यमंत्री बनाने से पहले उनके साथ सहमति बनाने का प्रयास कर रही है और इन दो कारणों में एकनाथ शिंदे की पार्टी का 57 सीटों पर जीतना शामिल नहीं है।

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पहला कारण तो शिंदे के सात लोकसभा सांसदों की ताकत हैं। इस साल लोकसभा चुनाव में भले कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार के गठबंधन महाविकास अघाड़ी ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन महायुति में एकनाथ शिंदे की पार्टी शिव सेना ने भी कम अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। भाजपा और एनसीपी के मुकाबले शिव सेना का प्रदर्शन बेहतर रहा। उनकी पार्टी सात सीटों पर जीती। केंद्र सरकार के बहुमत के हिसाब से ये सात सांसद बहुत बड़ी हैसियत रखते हैं।

ध्यान रहे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को 21 सदस्यों का बहुमत है। बहुमत का जादुई आंकड़ा 272 है और सरकार के पास 293 सांसद हैं। अगर किसी वजह से शिंदे नाराज होते हैं तो सात सांसदों का समर्थन कम होगा। अभी भाजपा का कोई एक सहयोगी अपने दम पर सरकार को अल्पमत में लाने में सक्षम नहीं है। लेकिन अगर सात सांसद कम हो गए तो चंद्रबाबू नायडू अपने 16 सांसदों के दम पर सरकार को अल्पमत में ला सकते हैं। नीतीश कुमार के 12 सांसदों का महत्व भी पहले से ज्यादा हो जाएगा। नीतीश और चिराग के 17 सांसद भी सरकार को झुका सकते हैं। तभी शिंदे को खुश रखने की मजबूरी है।

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दूसरा कारण यह है कि अगर शिंदे भाजपा से नाराज होते तो उनका अगला ठिकाना उद्धव ठाकरे का घर हो सकता था। वैसे भी मुख्यमंत्री नहीं बनने के बाद शिव सैनिकों में एक अलगाव की भावना आएगी। ध्यान रहे महाराष्ट्र के शिव सैनिक एकनाथ शिंदे के साथ रहे तो इसका कारण यह था कि उनको लग रहा था कि शिव सैनिक मुख्यमंत्री है। अगर शिव सैनिक यानी शिंदे मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं तो शिव सैनिकों को उद्धव ठाकरे के साथ लौटने में दिक्कत नहीं होगी।

इससे एकनाथ शिंदे कमजोर होते और उनके कमजोर होने का असर पूरा गठबंधन पर पड़ता। तभी भाजपा ने इस पूरे प्रकरण में उनका महत्व बढ़ाया। यह मैसेज दिया कि भाजपा एकतरफा फैसला नहीं कर रही है, बल्कि 132 सीट जीतने के बावजूद सहयोगी पार्टी खास कर शिव सेना का ख्याल रख रही है। यह भी मैसेज बनवाया गया कि भाजपा एकनाथ शिंदे की सहमति और समर्थन से अपना मुख्यमंत्री बना रही है। इसका मकसद शिव सैनिकों को यह संदेश देना था कि एकनाथ शिंदे भले बाल ठाकरे नहीं हों लेकिन भाजपा ने उनके समर्थन के बगैर अपनी सरकार नहीं बनाई।

By NI Political Desk

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