इस बात की बहुत चर्चा हो रही है कि देवेंद्र फड़नवीस जल्दी ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। ऐसा इस आधार पर कहा जा रहा है कि शिव सेना के नेता और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ अयोग्यता के मामले में फैसला आना है। कहा जा रहा है कि उनके साथ साथ शिव सेना के 16 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया जाएगा और तब उनको इस्तीफा देना होगा। उसके बाद देवेंद्र फड़नवीस मुख्यमंत्री बन जाएंगे। इस थ्योरी में पहला सवाल तो यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता पर कोई बात नहीं कही और स्पीकर को फैसला करने को कहा तो भाजपा के स्पीकर क्यों मुख्यमंत्री को अयोग्य घोषित करेंगे, जबकि उनके साथ शिव सेना के 55 में से 40 विधायक अलग हुए थे? दूसरा सवाल है कि अगर ऐसा होता है तो क्या शिंदे नहीं समझेंगे कि भाजपा ने उनके साथ गेम किया है? क्या वे नहीं समझेंगे कि अजित पवार का साथ लेकर भाजपा ने उनको निपटा दिया? अगर ऐसा वे समझेंगे तो फिर क्यों भाजपा के साथ रहेंगे?
सो, अगर ऐसा होता है तो यह भाजपा के लिए बड़े जोखिम का मामला हो जाएगा। दूसरा सवाल यह है कि राज्य में चुनाव अगले साल अक्टूबर में होने वाले हैं। लेकिन लोकसभा का चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में है। अगर अगले एक दो महीने में भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाती है तो उसके खिलाफ एंटी इन्कम्बैंसी बढ़ेगी। अभी तीन पार्टियों की सरकार में सत्ता विरोधी लहर भाजपा के खिलाफ अकेले नहीं होगी। लेकिन अपना मुख्यमंत्री बनाने पर केंद्र व राज्य सरकार दोनों के खिलाफ एंटी इन्कम्बैंसी में इजाफा हो सकता है। लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा। ध्यान रहे इस विधानसभा के चार साल होने जा रहे हैं। एक साल के लिए पूरे चार साल की एंटी इन्कम्बैंसी अपने ऊपर लेना कोई अच्छा दांव नहीं होगा। अगर दूसरी पार्टी का ही मुख्यमंत्री रहता है तब भी अधिकारियों की तैनाती से लेकर सारे फैसले भाजपा के हिसाब से होने हैं। इसलिए अपना मुख्यमंत्री बनाने से ज्यादा बेहतर रणनीति दूसरी पार्टी के सीएम के साथ चुनाव में जाना होगा।