Maharashtra politics: महाराष्ट्र में भाजपा की दो सहयोगी पार्टियों, शिव सेना और एनसीपी के कई विधायक बागी तेवर दिखा रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद मंत्री बनने से वंचित रह गए कम से कम आधा दर्जन विधायकों ने तेवर दिखाए थे।
उन्होंने खुलेआम नाराजगी जताई थी। एकनाथ शिंदे की पार्टी के एक विधायक ने तो पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।
पार्टी के पदों से इस्तीफा देने वाले विधायक नरेंद्र भोंडेकर ने शिव सेना के नेता एकनाथ शिंदे से तो नाराजगी जताई लेकिन आश्चर्यजनक रूप से मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के प्रति सद्भाव दिखाया।
कहा जा रहा है कि फड़नवीस ने उनसे बातचीत करके उनका गुस्सा ठंडा कराया। ऐसा शिव सेना और एनसीपी के कई विधायकों के साथ हुआ है।
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इसमें एनसीपी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक छगन भुजबल का भी नाम लिया जा सकता है। भुजबल मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हुए तो अजित पवार पर अपनी नाराजगी निकाली।
उन्होंने कहा कि फड़नवीस उनको मंत्री बनाना चाहते थे लेकिन ऐन मौके पर अजित पवार ने उनका नाम काट दिया।(Maharashtra politics)
भुजबल ने फड़नवीस के प्रति इतना ही सद्भाव नहीं दिखाया है, बल्कि कहा जा रहा है कि दोनों की मुलाकात हुई है और आगे की राजनीति को लेकर कुछ बातें हुई हैं।
इसका मतलब है कि शिव सेना हो या एनसीपी दोनों में फड़नवीस के लोग हैं और वे जब चाहेंगे तब इन दोनों पार्टियों में सेंध लगा सकते हैं।
अगर अजित पवार अपने चाचा के साथ लौटना चाहते हैं तो वह भी बहुत आसान नहीं होने वाला है। यह भी कहा जा रहा है कि इमरजेंसी में भाजपा का बहुमत जुगाड़ करने का बंदोबस्त फड़नवीस ने कर रखा है।