महाराष्ट्र के सबसे बड़े मराठा क्षत्रप शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार दोनों अलग अलग चुनाव लड़ रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि दोनों की लड़ाई इस बार असली है। पवार अपनी आखिरी लड़ाई जीत के साथ खत्म करना चाहते हैं तो अजित पवार यह साबित करना चाहते हैं कि शरद पवार के बिना भी उनका अस्तित्व है। लोकसभा चुनाव में वे यह साबित नहीं कर पाए थे, जो बिना शरद पवार के उनका पहला चुनाव था। जो काम वे लोकसभा चुनाव में नहीं कर पाए उसे विधानसभा चुनाव में करना चाहते हैं। तभी दोनों एक दूसरे के खिलाफ जी जान से लड़ रहे हैं। इसके बावजूद ऐसा लग रहा है कि कुछ न कुछ दोनों का कॉमन एजेंडा है, जिसके तहत उन्होंने भाजपा को एक्सपोज किया है।
अब कोई कुछ भी कहे यह बात तो स्थापित हो गई है कि पांच साल पहले 2019 में महाराष्ट्र चुनाव के बाद सरकार बनाने में गतिरोध पैदा हुआ तो गौतम अडानी ने गतिरोध दूर कराने और भाजपा व एनसीपी की सरकार बनवाने की पहल की थी। अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंधों को लेकर जो आरोप लगते थे उनकी पुष्टि करने के लिए पर्याप्त तथ्य अजित पवार ने दे दिए। तभी कांग्रेस नेता राहुल गांधी को यह कहने का मौका मिला कि मुंबई के धारावी में एक लाख करोड़ रुपए की जमीन है, जिस पर अडानी की नजर है। कांग्रेस की सरकार ने वह जमीन नहीं दी तो अडानी ने सरकार गिरा दी थी और भाजपा की सरकार बनवा दी, जिसके बाद अडानी को जमीन मिल गई। उद्धव ठाकरे कह चुके हैं कि अगर कांग्रेस के साथ उनके गठबंधन की सरकार बनती है तो वे धारावी के विकास की परियोजना अडानी से छीन लेंगे और उनको दी गई जमीन भी वापस ले लेंगे।
गौरतलब है कि भाजपा के सहयोगी और महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री अजित पवार ने पिछले दिनों कहा कि 2019 में जब भाजपा और शिव सेना का तालमेल टूटा और सरकार बनाने में गतिरोध पैदा हुआ तो भाजपा और एनसीपी की एक मीटिंग हुई थी, जिसकी मेजबानी गौतम अडानी ने की थी। अजित पवार ने आगे कहा कि उस बैठक में सरकार बनाने की सहमति बनी, जिसके बाद वे भाजपा के साथ गए और उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। हालांकि बाद में शरद पवार ने इरादा बदल दिया तो 80 घंटे के भीतर अजित पवार को सरकार छोड़ कर वापस एनसीपी में लौटना पड़ा था। वे कह रहे हैं कि उन्होंने अपने नेता शरद पवार के कहे के हिसाब से काम किया था और भाजपा की सरकार में शामिल हुए थे। लेकिन असल में अजित पवार ने यह साबित किया है कि गौतम अडानी के कहने से 2019 में चार दिन की सरकार बनी थी, जब तत्कालीन राज्यपाल ने एक दिन तड़के पांच बजे देवेंद्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी। कुल मिला कर पवार चाचा भतीजे ने आपस में लड़ते हुए भी भाजपा को एक्सपोज कर दिया।