Ajit Pawar BJP, ऐसा लग रहा है कि महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और एनसीपी के नेता अजित पवार को समझ में आ गया है कि भारतीय जनता पार्टी का साथ उनको कोई वोट नहीं दिला पा रहा है। हालांकि वे भी भाजपा को कोई खास फायदा नहीं पहुंचा सके हैं तभी लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा के नेता और संघ के पदाधिकारी उनको निशाना बना रहे थे। अब मतदान से दो दिन पहले प्रचार बंद होते समय उन्होंने कहा कि, ‘हमको वोट देने का मतलब भाजपा को वोट देना नहीं है’। इस तरह अजित पवार ने कहा कि वे और भाजपा अलग अलग हैं। सोचें, जब वे भाजपा के गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं तो उनको वोट देने का मतलब भाजपा को वोट देना कैसे नहीं है?
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असल में मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र का शुगर बेल्ट में ही अजित पवार का आधार है। इस इलाके में मराठा और मुस्लिम दोनों बड़ी संख्या में हैं और किसानों की आबादी भी बहुत अच्छी है। मोटे तौर पर इन तीनों समुदायों में भाजपा को लेकर नाराजगी है। मराठों में नाराजगी कुछ कम होगी तो उनका समर्थन शरद पवार के प्रति है, जिन्होंने आखिरी चुनाव का भावनात्मक कार्ड खेला है। तभी अजित पवार को चिंता सता रही है कि भाजपा के साथ होने की वजह से उनको मराठा, मुस्लिम और किसान तीनों से वोट नहीं मिल रहे हैं। तभी उन्होंने पहले परिवार की एकता का रोना रोया, फिर ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे का विरोध किया और अब खुल कर कहा है कि उनको वोट देने का मतलब भाजपा को वोट देना नहीं है।