महाराष्ट्र में असली एनसीपी के नेता अजित पवार ऐसा लग रहा है कि अपने हिसाब से राजनीति कर रहे हैं। वे भाजपा की लाइन पर नहीं चल रहे हैं। कुछ समय पहले उन्होंने मुस्लिम आरक्षण की मांग की थी। हालांकि अपनी पार्टी के घोषणापत्र में उन्होंने इसको शामिल नहीं किया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि उन्होंने घोषणापत्र क्यों जारी किया? जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा की ओर से सभी सहयोगी पार्टियों को कहा गया था कि उनको घोषणापत्र जारी करने की जरुरत नहीं है। सारी पार्टियां और उम्मीदवार जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और काम पर लड़ रहे हैं तो फिर सबको अलग अलग घोषणापत्र जारी नहीं करना चाहिए। लेकिन अजित पवार ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया।
इतना ही नहीं घोषणापत्र में उन्होंने जाति आधारित जनगणना कराने का वादा कर दिया है। भाजपा कहीं भी इसका वादा नहीं कर रही है। वह न तो इसका विरोध कर रही है और न समर्थन कर रही है। बिहार में मजबूरी थी तो उसने समर्थन कर दिया। लेकिन बाकी जगह उसने चुप्पी साध रखी है। अजित पवार की घोषणा के बाद महाराष्ट्र में उसके नेताओं को इस पर जवाब देना पड़ सकता है। अजित पवार ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री यशवंत राव चव्हाण को भारत रत्न देने का वादा किया है। ध्यान रहे यशवंत राव चव्हाण ही शरद पवार के राजनीतिक गुरू थे। उनके प्रति आज भी मराठा लोगों में गर्व की भावना है। सो, उनको भारत रत्न देने का वादा करके अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार को मात देने का एक दांव चला है।