भारतीय जनता पार्टी एनसीपी के नेता अजित पवार पर क्यों इतनी मेहरबानी दिखा रहे हैं? दो जून को जिस समय यह तय नहीं था कि उनके साथ कितने विधायक हैं उस समय उनको उप मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई गई और उनकी पसंद के आठ अन्य लोगों को मंत्री बनाया गया। बाद में पता चला कि वैध तरीके से एनसीपी तोड़ने के लिए जितने विधायक चाहिए उतने अजित पवार के पास नहीं हैं। फिर भी भाजपा नेतृत्व ने उनको और उनके साथ आए विधायकों को मनपसंद मंत्रालय दिया। भले 12 दिन का समय लगा और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ऑथोरिटी की अनदेखी करनी पड़ी लेकिन अजित पवार को वित्त मंत्रालय दिया गया और उनकी पार्टी के मंत्रियों को सहकारिता और कृषि जैसे विभाग दिए गए। सोचें, अजित पवार के ऊपर सहकारिता में घोटाले के कितने आरोप लगे हैं!
एकनाथ शिंदे और उनकी पार्टी के नेता इस बात से बहुत आहत हैं कि उनके विरोध के बावजूद अजित पवार को वित्त मंत्रालय मिला। यह भी खबर है कि जल्दी ही मंत्रिमंडल में एक और विस्तार होगा, जिसमें अजित पवार खेमे के चार या पांच और विधायक मंत्री बन सकते हैं। अगले विस्तार में भी शिंदे सेना के किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाए जाने की चर्चा है। तभी सवाल है कि पवार पर भाजपा की इतनी मेहरबानी का क्या कारण है? क्या सचमुच भाजपा शिंदे को किनारे करने वाली है? क्या सचमुच ऐसा हो सकता है कि अजित पवार आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री बन जाएं?
अजित पवार को ज्यादा महत्व देने और शिंदे को किनारे करने के दो कारण बताए जा रहे हैं। पहला कारण तो यह है भाजपा एकनाथ शिंदे के वोट को लेकर भरोसे में नहीं है। भाजपा को लग रहा है कि शिंदे के साथ शिव सेना का वोट भाजपा के साथ नहीं आना है। जो हिंदुवादी वोट है वो भाजपा के नाम से ही उसके मिलेगा, जबकि अजित पवार के साथ मराठा वोट भाजपा से जुड़ सकता है। साथ ही उनके साथ आए छगन भुजबल की वजह से पिछड़ी जातियों का वोट भी भाजपा के साथ जुड़ सकता है। मराठा और ओबीसी वोट कंसोलिडेट करने के लिए भाजपा अभी अजित पवार की जरूरत महसूस कर रही है।
दूसरा कारण भाजपा के कुछ नेताओं की शरद पवार के साथ निजी नाराजगी है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश में उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस चाहते हैं कि शरद पवार को जवाब दिया जाए। ध्यान रहे पवार की वजह से 2019 में भाजपा का सरकार बनाने का खेल बिगड़ा था। पवार की वजह से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने थे, जो लगातार अमित शाह पर निशाना साधते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शरद पवार के प्रति सद्भाव रहा है। वे सार्वजनिक रूप से उनकी तारीफ करते रहे हैं और उन्होंने पवार को दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया है। लेकिन अमित शाह और फड़नवीस का ऐसा सद्भाव नहीं है। वे महाराष्ट्र के एकमात्र और सर्वमान्य नेता की पवार की छवि को समाप्त करना चाहते हैं।