एनसीपी के नेता और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के एनडीए से अलग होने का समय नजदीक आ रहा है। उन्होंने कुछ दिन पहले ही पोजिशनिंग शुरू कर दी थी। अब वे उन तर्कों को दोहराने लगे हैं, जिन्हें आधार बना कर वे भाजपा गठबंधन का साथ छोड़ेंगे और वापस शरद पवार के साथ लौटेंगे। दूसरी ओर भाजपा के नेता भी पोजिशनिंग कर रहे हैं। उन्होंने भी संघ के विचारकों और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी के नेताओं की नाराजगी के बहाने कहना शुरू कर दिया है कि अजित पवार को गठबंधन से हट जाना चाहिए। सो, कुल मिला कर स्टेज तैयार है और ऐसा लग रहा कि कथा, पटकथा लिखी जा चुकी है। अब अंतिम परफॉरमेंस की बारी है, जो कभी भी शुरू हो सकती है।
तभी अजित पवार ने कहा है कि उन्होंने अपने चाचा की बनाई पार्टी एनसीपी तोड़ कर गलती की। इससे पहले उन्होंने कहा था कि चचेरी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को बारामती सीट से चुनाव लड़ाना एक गलती थी। अब उन्होंने कहा है कि पार्टी और परिवार तोड़ना गलती थी क्योंकि समाज इसे अच्छा नहीं मानता है। ऐसा लग रहा है कि उनको अहसास हो गया है कि वे विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को लोकसभा से भी कम मराठा वोट मिलेंगे। तभी दो तीन दिन पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी सेकुलर सिद्धांत पर आधारित है और भाजपा के साथ जाने के बाद भी उससे समझौता नहीं किया है। सो, सेकुलर सिद्धांत और पार्टी तोड़ने की गलती का अहसास उनको शरद पवार की ओर ले जा सकता है।