एनसीपी नेता और महाराष्ट्र की महायुति सरकार के उप मुख्यमंत्री अजित पवार क्या फिर से घर वापसी करना चाहते हैं? अगर वे ऐसा करते हैं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा, बल्कि अगर वे घर वापसी नहीं करते हैं तो यह आश्चर्य की बात होगी। तभी उन्होंने अपने चाचा शरद पवार और चचेरी बहन सुप्रिया सुले के प्रति जो सद्भाव, आत्मीयता और सम्मान दिखाया है उसके कई मायने निकल रहे हैं। उन्होंने शरद पवार को अपने परिवार का मुखिया बताया है और यह भी कहा है कि बारामती लोकसभा सीट पर चचेरी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ पत्नी सुनेत्रा पवार को लड़ाना एक गलत फैसला था। उनके इस बयान के बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले घर वापसी कर सकते हैं। ध्यान रहे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और भाजपा का एक खेमा उनको पसंद नहीं करता है। कई लोग सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि अजित पवार के साथ तालमेल से भाजपा को लोकसभा चुनाव में नुकसान हुआ। तभी उनको गठबंधन से हटाने की तैयारी भी चलने की खबर है।
बहरहाल, राजनीति में जो दिखाई देता है वह हमेशा होता नहीं है। जो होता है वह दिखाई नहीं देता है। इसलिए अजित पवार की पोजिशनिंग को दूसरी तरह से भी देखने की जरुरत है। उनको भी पता है कि संघ और भाजपा का एक खेमा उनको पसंद नहीं करता है और गठबंधन से बाहर कराना चाहता है। दूसरे, उनको यह भी पता है कि इस बहाने उनको विधानसभा चुनाव में कम सीटों का प्रस्ताव भी दिया जा सकता है। इसलिए उन्होंने पहले ही दबाव की राजनीति शुरू कर दी है। उन्होंने भाजपा को यह मैसेज दे दिया है कि अगर उनको अपनी पसंद के हिसाब से सीटें नहीं मिलती हैं तो वे गठबंधन छोड़ कर चाचा के साथ जा सकते हैं। अजित पवार के इस दांव का दूसरा पहलू यह है कि उनको लोकसभा चुनाव में पता चल गया है कि एनसीपी का पारंपरिक वोट अब भी शरद पवार के साथ है। तभी वे 10 सीटों पर लड़ कर आठ पर जीते, जबकि अजित पवार की पार्टी चार में से सिर्फ एक सीट जीत पाई। इसलिए उन्होंने एनसीपी के कोर मतदाताओं को यह मैसेज दिया है कि वे परिवार के साथ हैं ताकि अगले चुनाव में वे अकेले लड़ते हैं तो उस वोट का कुछ हिस्सा उनसे जुड़े।