चुनाव आयोग एनसीपी में हुई टूट की जांच कर रहा है। पार्टी के संस्थापक और अपने चाचा शरद पवार से अलग हुए अजित पवार खेमे की ओर से चुनाव आयोग के सामने असली पार्टी होने का दावा किया गया है और इस दावे के समर्थन में 20 हजार हलफनामे जमा कराए गए हैं। इनकी कॉपी शरद पवार खेमे को भी दी गई है। शरद पवार खेमे ने इन हलफनामों में कई गड़बड़ियां पकड़ी हैं। उसने चुनाव आयोग को बताया है कि इसमें ऐसे पदों पर पदाधिकारियों की नियुक्ति की बात कही गई है, जो पद कभी पार्टी में रहे ही नहीं। इसके अलावा 18 साल से कम उम्र के लोगों के दस्तखत से हलफनामे जमा कराए गए हैं। सामान्य गृहिणियों को पदाधिकारी दिखाया गया है और जोमाटो के सेल्समैन के दस्तखत वाले हलफनामे चुनाव आयोग के सामने जमा किए गए हैं।
अब सवाल है कि क्या सचमुच शरद पवार खेमे ने इतनी बारीकी से सभी 20 हजार हलफनामों की जांच की और ये गड़बड़ियां पकड़ी हैं या उनको इसके बारे में जानकारी दी गई है? ध्यान रहे चाचा-भतीजे की पार्टी के बंटवारे के बारे में पक्के तौर पर कोई नहीं कह रहा है कि ये सचमुच अलग हुए हैं या कोई खेल है। तभी इस बात की संभावना जताई जा रही है कि शरद पवार खेमे को इन गड़बड़ियों के बारे में सूचना दे दी गई। यह सवाल भी उठ रहा है कि पार्टी की स्थापना के दिन से अजित पवार पार्टी के नंबर दो नेता रहे हैं तो क्या उनको पता नहीं था कि कौन सा पद पार्टी में कभी नहीं रहा है? फिर क्यों उस पद के पदाधिकारी का हलफनामा दिया गया? इससे यह संदेह जताया जा रहा है कि जान-बूझकर मामले को उलझाया जा रहा है ताकि इसमें समय लगे और जल्दी फैसला न हो सके।