महाराष्ट्र में अगर अगले कुछ दिनों में मंत्रिमंडल में विस्तार नहीं होता है या स्थानीय निकायों के चुनावों की घोषणा नहीं होती है तो इन खबरों की पुष्टि होगी कि राज्य में समय से पहले चुनाव होने जा रहा है। महाराष्ट्र में अभी जो घटनाक्रम चल रहा है उसे देख कर यह माना जा रहा है कि राज्य में विधानसभा का चुनाव इस साल हो सकता है। कुछ जानकार अगले साल लोकसभा के साथ चुनाव की बात कर रहे हैं लेकिन लोकसभा के साथ चुनाव नहीं होगा। अगर साल के अंत में होने वाले पांच राज्यों के साथ महाराष्ट्र का चुनाव हो गया तो ठीक है नहीं तो अगले साल अक्टूबर में तय समय पर ही चुनाव होगा। लेकिन अभी कई घटनाएं ऐसी हो रही हैं, जिनसे लग रहा है कि कुछ दिलचस्प हो सकता है। उधर शरद पवार के परिवार और पार्टी में अंदरूनी खींचतान है तो दूसरी ओर कांग्रेस में भी झगड़ा है और प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने की कवायद चल रही है। ऐसे में चुनाव हुआ तो विपक्ष तैयार नहीं मिलेगा।
राज्य की शिंदे-फड़नवीस सरकार अचानक बहुत सक्रिय हो गई है। समुद्र पर बनने वाले दो पुल का नाम रखने की घोषणा हुई है। एक पुल सावरकर के नाम पर होगा और दूसरे अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर होगा। शिंदे गुट ने अचानक उद्धव ठाकरे गुट पर हमला तेज कर दिया है और मुंबई में कई जगह शरद पवार के साथ उद्धव की फोटो लगाई गई और उनको औरंगजेब से जोड़ा गया। अब तक पवार को ही औरंगजेब से जोड़ा जा रहा था और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस औरंगजेब की औलादों का भय दिखा कर प्रचार कर रहे थे। लेकिन अब उद्धव को भी उसमें लपेटा गया है। इसी तरह कोल्हापुर और संभाजीनगर से लेकर अकोला और अहमदनगर तक 12 शहरों में सांप्रदायिक दंगे हुए हैं। कोरोना के समय सेंटर बनाने से जुड़े एक कथित घोटाले में ऐसे लोगों के यहां छापा मारा गया है, जिनको उद्धव व आदित्य ठाकरे का करीबी माना जाता है। यह सब कुछ अचानक नहीं हुआ है। अगले कुछ दिनों में महाराष्ट्र में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिल सकता है।