भारतीय जनता पार्टी आजकल अपने उम्मीदवारों की तरह ही दूसरी कई पार्टियों के और कई निर्दलीय उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाती है। हरियाणा के बारे में कहा जा रहा था कि भाजपा के तो अपने 89 उम्मीदवार थे लेकिन वह 120 उम्मीदवारों को चुनाव लड़ा रही थी। इसी का नतीजा बताया जा रहा है कि कांग्रेस के अनेक बागियों को इतना वोट मिला कि उन्होंने कांग्रेस को हरा दिया। इसी तरह का खेल लगता है कि महाराष्ट्र में भी होने वाला है। महाराष्ट्र में अलग सामाजिक समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। सबने अपने अपने असर वाले इलाके में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन को सबसे ज्यादा मराठा और दलित वोट की उम्मीद है, जैसे हरियाणा में जाट और दलित वोट की थी। लेकिन हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी सबसे मजबूत मराठा जाति और दलित के वोट में बंटवारा करने वाले नेता सक्रिय हो गए हैं। मराठा आरक्षण का आंदोलन करके पूरे मराठवाड़ा को जाग्रत करने वाले मनोज जरांगे पाटिल कह रहे हैं कि वे मराठा उम्मीदवार चुनाव में उतारेंगे। ध्यान रहे मराठवाड़ा की नौ लोकसभा सीटों में से कांग्रेस गठबंधन ने आठ जीती है लेकिन अगर मनोज जरांगे पाटिल उम्मीदवार उतारते हैं तो यह प्रदर्शन दोहराना मुश्किल होगा। इसी तरह दलित नेता प्रकाश अंबेडकर अपना गठबंधन बना कर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। किसान नेता राजू शेट्टी भी उनके साथ जुड़े हैं। किसान का वोट भी कांग्रेस गठबंधन के लिए प्रतिबद्ध माना जा रहा है लेकिन उसमें भी सेंधमारी का प्रयास शुरू हो गया। पिछड़े समुदाय से आने वाले एक विधायक भी अपनी पार्टी लेकर चुनाव में उतरने वाले हैं। इनके अलावा निर्दलीय उम्मीदवारों का अलग मामला होगा।