लोकसभा में जब से कांग्रेस की स्थिति सुधरी है और उसके 99 सांसद जीते तब से मुस्लिम वोटों को लेकर कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां चिंतित हो गई हैं। सपा और राजद से लेकर जेएमएम तक सहयोगी पार्टियों को ऐसा लग रहा है कि मुस्लिम वोट कांग्रेस की ओर लौट सकता है। तभी ये पार्टियां मुस्लिम वोट को केंद्र में रख कर अपनी राजनीति कर रही हैं। यह राजनीति अखिलेश यादव के महाराष्ट्र में उम्मीदवारों की घोषणा में भी दिखी है। वे महाराष्ट्र का दौरा करने गए तो सिर्फ मुस्लिम असर वाले इलाके में गए और बिना कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार से बात किए एकतरफा तरीके से पांच उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। उनके द्वारा घोषित पांचों उम्मीदवार मुस्लिम हैं।
सोचें, अखिलेश पहले कह रहे थे कि उनसे बात किए बगैर महा विकास अघाड़ी को उम्मीदवार नहीं घोषित करना चाहिए। लेकिन खुद बिना बात किए उम्मीदवार घोषित किए। वे पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक की रैली में गए थे लेकिन घोषित करने के लिए जो उम्मीदवार मिले वे सभी मुस्लिम हैं। महाराष्ट्र में बरसों से सपा की कमान संभालने वाले अबू आसिम आजमी के अलावा रियाज आजमी, इरशाद जागीरदार, रईस शेख और शान ए हिंद को उम्मीदवार घोषित किया है। यानी उनको कोई पिछड़ा या दलित नहीं मिला है। वे इन पांच के अलावा सात और सीटों की मांग कर रहे हैं। हालांकि अगर इसके अलावा कोई भी सीट नहीं मिलती है तब भी वे थोड़ा बहुत नखरा दिखाएंगे लेकिन उस फैसले को स्वीकार कर लेंगे। उनको सिर्फ मुस्लिम उम्मीदवारों की चिंता है क्योंकि उसके जरिए वे उत्तर प्रदेश में मुस्लिम हितैषी होने की छवि को मजबूती से स्थापित कर पाएंगे।