महाराष्ट्र में जितना सस्पेंस चुनाव नतीजों का है उससे ज्यादा सस्पेंस चुनाव नतीजों के बाद का है। मुंबई से लेकर दिल्ली तक इस बात पर सट्टा लगाए जाने की खबर है कि चुनाव के बाद पार्टियां किस तरह से राजनीति करेंगी। इसमें सस्पेंस उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे और अजित पवार को लेकर सबसे ज्यादा है। महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने पर उद्धव ठाकरे को हर हाल में मुख्यमंत्री बनना है। उनको पता है कि अगर सरकार बनी और वे मुख्यमंत्री नहीं बने तो पार्टी की राजनीति को स्थायी नुकसान होगा। वे अपने बेटे आदित्य ठाकरे को उप मुख्यमंत्री बना कर राजनीति नहीं कर सकते हैं। वे बाला साहेब ठाकरे की तरह अपनी पार्टी को सरकार से बाहर भी नहीं रख सकते हैं क्योंकि उनके सारे नेता सत्ता में हिस्सेदारी चाहते हैं। तभी यह कहा जा रहा है कि अगर कांग्रेस अगर गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी बनती है और मुख्यमंत्री के लिए अड़ती है तो उद्धव ठाकरे दूसरे विकल्प पर विचार कर सकते हैं।
यही बात एकनाथ शिंदे के बारे में भी कही जा रही है। उनकी पार्टी उनको मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। उनकी पार्टी के राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा ने कहा है कि अगर महायुति जीता तो सौ फीसदी तय है कि शिंदे सीएम होंगे। दूसरी ओर भाजपा के बड़े नेताओं ने कह दिया है कि मुख्यमंत्री तय नहीं हुआ है। इसका फैसला नतीजों के बाद होगा। अगर नतीजों के बाद भाजपा शिंदे को सीएम नहीं बनाती है तो वे क्या करेंगे और उनके विधायक क्या करेंगे इस पर सबकी नजर रहेगी। अगर भाजपा गठबंधन सरकार नहीं बना पाता है और महाविकास अघाड़ी में उद्धव को मौका मिलता है तो शिंदे के जीते हुए विधायकों के उनके साथ जाने में कोई समय नहीं लगेगा। ऐसी ही स्थिति अजित पवार की है। उनकी मुख्यमंत्री बनने की संभावना शून्य हो गई है क्योंकि उनकी पार्टी 50 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जिसमें से वह 20 सीट भी जीत जाए तो बड़ी बात होगी। तभी नतीजों के बाद उनकी क्या राजनीति होगी और उनके विधायक क्या करेंगे यह भी बड़ा सस्पेंस है। भाजपा के 16 नेता एकनाथ शिंदे और अजित पवार की पार्टी से लड़ रहे हैं। अगर ये दोनों नेता इधर उधर हुए तो जीतने वाले भाजपा नेता अपना रास्ता पकड़ेंगे।