राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

महाराष्ट्र में सब अपना अपना चुनाव लड़े

President rule MaharashtraImage Source: ANI

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में छह पार्टियों ने दो गठबंधन बना कर चुनाव लड़े। ऊपर से ऐसा लग रहा था कि कितनी मेहनत करके इन पार्टियों ने गठबंधन बनाया है, कितनी मेहनत करके एक दूसरे के साथ तालमेल बैठाते हुए उम्मीदवारों का चयन किया है और मेहनत करके एक दूसरे को जिताने की कोशिश कर रहे होंगे लेकिन हकीकत यह है कि सबने अपना अपना चुनाव लड़ा, सब अपने अपने वोट आधार के भरोसे रहे, किसी ने किसी की मदद नहीं की और कई जगह एक दूसरे से स्कोर सेटल करने का काम हुआ। यही कारण है कि कोई भी पूरे भरोसे के साथ चुनाव नतीजों का आकलन नहीं कर पा रहा है।

इस बार का चुनाव इस मायने में भी कुछ अलग है कि दोनों प्रादेशिक पार्टियों शिव सेना और एनसीपी को अपनी असलियत साबित करनी है। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे इसलिए लड़े ताकि यह साबित कर सकें कि असली शिव सेना उनकी है। इस बीच में राज ठाकरे ने टांग अड़ाई तो इसलिए ताकि उद्धव ठाकरे से पुराना बदला लिया जा सके। उनको लगा कि इस बार उद्धव घिरे हैं, भाजपा और एकनाथ शिंदे उनको निपटाने में लगे हैं तो कुछ अपनी ओर से भी जोर लगा दिया जाए। सो, उन्होंने मुंबई की 36 सीटों पर, जहां उद्धव का सबसे मजबूत आधार है वहां अपने उम्मीदवार उतार दिए और उनके लिए खूब मेहनत की। हालांकि उनका बेटा माहिम सीट पर मुश्किल लड़ाई में है लेकिन उन्होंने कई जगह उद्धव के उम्मीदवारों की हार सुनिश्चित की है। सब कैसे अपना गढ़ बचाने में लगे रहे, यह शोलापुर में देखने को मिला, जहां कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने उद्धव ठाकरे के उम्मीदवार की बजाय कांग्रेस के बागी उम्मीदवार का समर्थन किया। कांग्रेस के नेता नहीं चाह रहे थे कि उद्धव ठाकरे को ज्यादा सीट मिले तो उद्धव के लोग भी कांग्रेस की संख्या घटाने में लगे रहे।

इसी तरह मराठा नेताओं ने जी जान से यह प्रयास किया कि मराठा वोट भाजपा को न जाने पाए। इसमें एकनाथ शिंदे ने भी भूमिका निभाई तो मराठा आरक्षण आंदोलन चलाने वाले मनोज जरांगे पाटिल ने भी प्रयास किया। मनोज जरांगे पाटिल ने पहले तो चुनाव लड़ने का ऐलान किया और उम्मीदवार उतारे लेकिन जब उनको लगा कि उनके चुनाव लड़ने से मराठवाड़ा में शरद पवार और कांग्रेस को नुकसान हो सकता है तो उन्होंने उम्मीदवार हटाने का ऐलान कर दिया। इसके बाद उनका प्रयास रहा कि किसी तरह से मराठा वोट भाजपा को न जाए। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि मराठा वोट कांग्रेस, शरद पवार और उद्धव ठाकरे के उम्मीदवारों को जाए। जहां एकनाथ शिंदे के मराठा उम्मीदवार हैं वहां उन्होंने उनकी भी मदद की। जहां शिंदे नहीं लड़ रहे थे या उनका मराठा उम्मीदवार नहीं था, वहां शिंदे ने भी सुनिश्चित किया कि भाजपा की बजाय उद्धव या अघाड़ी के उम्मीदवार को मराठा वोट मिल जाए। यानी भाजपा और एकनाथ शिंदे में भी शह मात का खेल हुआ। इस पूरे खेल में सबसे हाशिए के खिलाड़ी अजित पवार रहे, जिनकी स्थिति सबसे कमजोर बताई जा रही है।

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *