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अजित पवार के अस्तित्व की लड़ाई

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चुनाव आयोग और विधानसभा स्पीकर ने अजित पवार की पार्टी को असली एनसीपी माना है और उनको घड़ी का चुनाव चिन्ह भी मिल गया है। इसके बावजूद अपने चार दशक से ज्यादा लंबे राजनीतिक करियर में वे पहली बार अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। तभी वे सारे दांव आजमा रहे हैं। तभी वे सारे दांव आजमा रहे हैं। उन्होंने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की विधानसभा सीट पर अनिल देशमुख नाम का उम्मीदवार खोज कर उतारा है। उनको लग रहा है कि अनिल देशमुख नाम और घड़ी चुनाव चिन्ह देख कर लोग उनकी पार्टी को वोट दे देंगे। महाराष्ट्र की 38 सीटों पर अजित पवार का मुकाबला अपने चाचा शरद पवार की पार्टी से है। इनके नतीजों से तय होगा कि असली एनसीपी किसकी है और असली मराठा नेता कौन है?

इन 38 में से एक सीट बारामती की भी है, जहां अजित पवार खुद चुनाव लड़ रहे हैं और उस सीट पर शरद पवार ने अजित पवार के भतीजे युगेंद्र पवार को उम्मीदवार बनाया है। शरद पवार खुद उनका नामांकन कराने गए थे। युगेंद्र के नामांकन के बाद अजित पवार ने कहा था कि शरद पवार परिवार तोड़ रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह माना कि पहली गलती उनसे हुई थी, जब उन्होंने लोकसभा चुनाव में बारामती सीट पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के मुकाबले अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को उम्मीदवार बनाया था। शरद पवार पर आरोप लगाने के बाद अब अजित पवार लोगों से कह रहे हैं कि उन्होंने लोकसभा में ‘साहेब’ का मान रखा तो इस बार उनका मान रखें। अजित पवार अब खुल कर परिवार के खिलाफ हैं और दूरी दिखा रहे हैं। पहली बार हुआ कि इस बार भाऊ बीज यानी भैया दूज के मौके पर वे परिवार के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। हर बार सुप्रिया सुले के साथ उनकी तस्वीर आती थी, जो इस बार नदारद है।

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