लोकसभा चुनाव के बीच विपक्षी पार्टियों पर बड़ी कार्रवाई हो रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार होकर जेल में हैं तो उधर झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिला कर हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया गया था। कांग्रेस के खिलाफ आयकर विभाग ने साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए का टैक्स नोटिस भेजा है तो सीपीआई और तृणमूल कांग्रेस को भी आयकर विभाग की ओर से नोटिस भेजा गया है।
कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं के खिलाफ छापे भी पड़ रहे हैं या केंद्रीय एजेंसियां चुनाव के बीच उनको समन भेज कर पूछताछ के लिए बुला रही हैं। विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की है लेकिन वहां भी कोई सुनवाई नहीं है।
इस बीच एक खबर आई है कि पिछले साल जब तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव हो रहे थे तब राज्य में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति ने विपक्षी यानी कांग्रेस के उम्मीदवारों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की थी। के चंद्रशेखर राव की सरकार ने कांग्रेस, भाजपा और दूसरी विपक्षी पार्टियों के नेताओं को फोन टैप कराए थे। पुलिस ने इस सिलसिले में मुकदमा दर्ज किया है, जिसमें कहा गया है कि सरकारी एजेंसियां विपक्षी उम्मीदवारों का पीछा करती थीं। उन पर नजर रखती थीं।
उनकी गाड़ियों से पैसे और दूसरे सामान जब्त किए जा रहे थे। यानी उनके चुनाव प्रचार को डिस्टर्ब किया जा रहा था। चुनाव से पहले ही विपक्षी नेताओं के खिलाफ सरकार की ज्यादती चालू हो गई थी। लेकिन बीआरएस सरकार की यह रणनीति उलटी पड़ गई। के चंद्रशेखर राव को तीसरा कार्यकाल नहीं मिल सका। उनको हरा कर कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली।
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