राजनीतिक दल की रैलियां या जनसभाएं और फैशन परेड के रैम्प वॉक में जमीन आसमान का अंतर होता है। रैम्प वॉक सीमित दर्शकों के लिए बंद कमरे में होते हैं, जबकि जनसभा सार्वजनिक होती है। लेकिन इन दिनों राजनीतिक रैलियों में रैम्प वॉक का चलन बढ़ता दिखाई दे रहा है। जब से पार्टियों ने इवेंट मैनेज करने वाली कंपनियों को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल करना शुरू किया है तब से इसका प्रचलन बढ़ा है। नेताओं की बड़ी रैलियों में मंच के आगे बड़े बड़े रैम्प बनाए जा रहे हैं, जिन पर नेता एक सिरे से दूसरे सिरे तक वॉक करते हैं। पहले यह काम मंच पर ही किया जाता था। Loksabha election 2024
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हाल की दो रैलियों में यह देखन को मिला है। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की रैली की, जिसमें उन्होंने सभी 42 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की तो वहां मंच के आगे एक रैम्प बनाया गया, जिस पर ममता ने सभी उम्मीदवारों के साथ रैम्प वॉक किया। Loksabha election 2024
ओपेनहाइमर सचमुच सिकंदर!
आगे आगे ममता और उनके पीछे सारे उम्मीदवार एक सिरे से दूसरे सिरे तक चलते रहे और रैम्प के दोनों ओर खड़े लोग नारे लगाते रहे। इसी तरह भाजपा और टीडीपी के तालमेल के बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने अपनी ताकत दिखाने के लिए अपनी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस की रैली की तो उसमें उन्होंने भी एक रैम्प बनवाया, जिस पर वे एक सिरे से दूसरे सिरे तक घूम कर लोगों को एड्रेस करते रहे।