भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन फिलहाल 38 पार्टियों का है। विपक्ष की 26 पार्टियों की बेंगलुरू बैठक के मुकाबले दिल्ली में भाजपा ने 38 पार्टियों के साथ सम्मेलन किया था। लेकिन अभी एनडीए पर पूर्णविराम नहीं लगा है। ऐसा नहीं है कि एनडीए में एंट्री बंद हो गई है। भाजपा अभी कई और पार्टियों के साथ बात कर रही है, जिनको गठबंधन में शामिल किया जा सकता है। जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा बिहार और उत्तर प्रदेश में एक एक और पार्टी से बात कर रही है। इसके अलावा दक्षिण भारत के राज्यों से कुछ नए सहयोगी भाजपा के साथ जुड़ सकते हैं। इतना ही नहीं यह भी कहा जा रहा है कि विपक्षी गठबंधन में टूट फूट हो सकती है और उधर की एकाध पार्टियां भी भाजपा के साथ जुड़ सकती हैं।
सो, भाजपा गठबंधन के घटक दलों की संख्या 45 या उससे ऊपर भी जा सकती है। जानकार सूत्रों के मुताबिक विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में पहला बिखराव राष्ट्रीय लोकदल से शुरू हो सकता है। बताया जा रहा है कि भाजपा के नेता जयंत चौधरी के संपर्क में हैं और जल्दी ही उनका फैसला हो सकता है। आखिरी बार उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल 2009 में भाजपा के साथ लड़ी थी और पांच सीटों पर जीती थी। तब उनके पिता अजित सिंह भी जीवित थे। उसके बाद के दोनों चुनावों यानी 2014 और 2019 में उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। सो, उनको अंदाजा है कि जीतने के लिए भाजपा के साथ जाना होगा।
उनके अलावा उत्तर प्रदेश की एक और पार्टी महान दल के साथ भाजपा की बातचीत हो रही है। केशव देव मौर्य की इस पार्टी का तालमेल कांग्रेस के साथ रहा है। गैर यादव पिछड़ी जातियों के वोट को एकजुट करने के लिए भाजपा उनके साथ तालमेल कर सकती है। उधर बिहार में भी मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी के साथ भाजपा की बातचीत चल रही है। वे पहले भाजपा के साथ रह चुके हैं लेकिन कुछ समय पहले भाजपा ने उनके तीन विधायकों को तोड़ कर अपने में शामिल करा लिया था, जिससे वे नाराज थे। लेकिन जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के भाजपा के साथ जाने के बाद अब वे भी महागठबंधन से निकलना चाहते हैं।
दक्षिण भारत से कुछ नई पार्टियां भाजपा के साथ जुड़ेंगी। दिल्ली में 20 जुलाई को हुई बैठक में तेलुगू फिल्म स्टार और जन सेना के नेता पवन कल्याण ने भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं से कहा कि तेलुगू देशम पार्टी को गठबंधन में लाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ना है। इसलिए टीडीपी को साथ लेना चाहिए। उधर कर्नाटक में जेडीएस ने भी साफ कर दिया है कि वह भाजपा के साथ और कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ेगी। सो, टीडीपी तो औपचारिक रूप से भाजपा के साथ जुड़ेगी लेकिन जेडीएस के साथ हो सकता है कि अनौपचारिक तालमेल हो।