राजीव गांधी 1984 का लोकसभा चुनाव लड़ने उतरे थे तब उनके रणनीतिकारों ने तय किया था कि भाजपा के सभी दिग्गज नेताओं के खिलाफ ऐसे चेहरे उतारने हैं, जो उनको हरा दें। बताया जाता है कि राजीव गांधी ने कहा भी था कि भाजपा के किसी बड़े नेता को सदन में नहीं पहुंचने देना है। इसलिए आखिरी समय में माधवराव सिंधिया को ग्वालियर में अटल बिहारी वाजपेयी के मुकाबले और इलाहाबाद में हेमवतीनंदन बहुगुणा के सामने अमिताभ बच्चन को उतारा गया था। ऐसा लग रहा है कि भाजपा इस बार यह रणनीति अपना रही है। पार्टी के जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों के तमाम बड़े नेताओं के खिलाफ भाजपा अपने बड़े नेताओं को चुनाव में उतारेगी।
बताया जा रहा है कि विपक्षी पार्टियों के तमाम बड़े नेताओं को उनके क्षेत्र में ही घेर देने की रणनीति बनी है। इसके लिए 20 लोकसभा सीटों की पहचान की गई है और उन पर भाजपा के 20 दिग्गज चुनाव लड़ेंगे। तभी भाजपा ने राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंचे बड़े नेताओं को इस बार टिकट नहीं दी है। कई केंद्रीय मंत्रियों की राज्यसभा की टिकट कट गई है। धर्मेंद्र प्रधान को भाजपा ने मध्य प्रदेश से टिकट नहीं दी है। मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी की जगह उत्तराखंड से महेंद्र भट्ट उच्च सदन में भेजे गए हैं। बिहार में सुशील कुमार मोदी को भी पार्टी ने राज्यसभा की टिकट नहीं दी है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी राज्यसभा में जाने की बजाय लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव जैसे मंत्रियों के भी चुनाव लड़ने की चर्चा है।