पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर एक जून को मतदान होगा। उस दिन पूरे पंजाब में ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी मनाई जाती है। गौरतलब है कि एक जून 1984 को ही भारतीय सेना ने सिखों के सबसे पवित्र धर्मस्थल स्वर्ण मंदिर में बलपूर्वक घुसने का प्रयास शुरू किया। स्वर्ण मंदिर पर गोलियां बरसाई गई थीं और तोप से गोले दागे गए थे। वहां छिपे जनरैल सिंह भिंडरावाले को मारने के क्रम में कितने ही लोग मारे गए। अकाल तख्त के ढांचे को जो नुकसान पहुंचा उसे तो बाद में ठीक कर दिया गया लेकिन करोड़ों सिखों के दिलों पर जो घाव लगा था वह अभी पूरी तरह से भरा नहीं है। कम से कम एक जून को वह जख्म जरूर टीस देता है।
तभी सवाल है कि चुनाव आयोग ने उसी दिन पंजाब में मतदान की तारीख क्यों तय की? चुनाव की तारीख तय करने में आयोग ने कई गलतियां की हैं, जैसे उसे इतना ध्यान नहीं रहा कि सिक्किम विधानसभा का कार्यकाल दो जून को खत्म हो रहा है। वहां भी उसने चार जून की गिनती रखी थी। यह सरासर मूर्खता और निकम्मापन है। लेकिन यह नहीं कह सकते हैं कि पंजाब में चुनाव आयोग ने अनजाने में ऐसी गलती कर दी कि एक जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी के दिन मतदान रख दिया। यह जान बूझकर किया गया फैसला लगता है, जिसका नुकसान सिर्फ कांग्रेस को होगा। चुनाव आयोग उत्तर भारत के सभी राज्यों में एक साथ चुनाव करा सकता था। पंजाब का चुनाव दिल्ली और हरियाणा के साथ कराया जा सकता था। लेकिन इन दोनों राज्यों में पहले मतदान हो गया और एक जून को पंजाब में वोट पड़ेंगे। विपक्षी पार्टियां खासकर अकाली दल ने कांग्रेस के खिलाफ एक जून का भावनात्मक इस्तेमाल शुरू कर दिया है।