उत्तर प्रदेश में क्या सचमुच अंदरखाने भाजपा के लिए कोई समस्या खड़ी हो गई है? हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अयोध्या यात्रा से लेकर वाराणसी में रोड शो और नामांकन की प्रक्रिया तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साये की तरह उनके साथ रहे और दोनों के बीच सद्भाव भी दिख रहा था इसके बावजूद यह मैसेज तेजी से फैल रहा है कि सब कुछ ठीक नहीं है। पक्के तौर पर कोई नहीं कह सकता है कि क्या गड़बड़ी हुई है लेकिन जिस तरह से भाजपा के शीर्ष नेता इधर उधर के ठाकुर नेताओं की चिरौरी कर रहे हैं और उनको मनाने की कोशिश में लगे हैं उससे यह सवाल उठा है कि राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ के होते भाजपा को अलग अलग क्षेत्रों के ठाकुर नेताओं के आगे समर्पण करने की क्या जरुरत है?
पिछले कुछ दिनों में भाजपा के शीर्ष नेताओं ने उत्तर प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों में असर रखने वाले तीन ठाकुर नेताओं को पटाने का प्रयास किया है। महिला पहलवानों के खिलाफ यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण सिंह को भाजपा ने कैसरगंज लोकसभा सीट से टिकट दी है। इसके लिए उसकी बड़ी आलोचना हुई लेकिन उसने कैसरगंज के साथ साथ गोंडा, बस्ती, फैजाबाद सहित पूर्वी यूपी के कई इलाकों में बृजभूषण शरण सिंह के असर को देखते हुए उनको नाराज नहीं किया। उनके खिलाफ दिल्ली की विशेष अदालत ने कहा है कि आरोप तय करने के पर्याप्त सबूत हैं। फिर भी पार्टी ने उनके बेटे को टिकट दिया।
इसके बाद भाजपा का ऑपरेशन लोटस जौनपुर के बाहुबली धनंजय सिंह और प्रतापगढ़ व कौशांबी में असर रखने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर शुरू हुआ। सोचें, जब धनंजय सिंह ने लड़ने का ऐलान किया तो उनको गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया। फिर जब उनकी पत्नी श्रीकला धनंजय सिंह को बसपा की टिकट मिल गई तो अचानक धनंजय सिंह को जेल से रिहा कर दिया गया और उसी समय बसपा ने उनकी पत्नी से टिकट वापस ले लिया। बताया जा रहा है कि भाजपा की ओर से ऊपर से धनंजय को कहा गया कि वे निर्दलीय नहीं लड़ें। उसके बाद अमित शाह ने उनसे बात की और फिर एक दिन तस्वीर आई कि उनकी पत्नी श्रीकला ने अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद धनंजय सिंह ने भाजपा को समर्थन का ऐलान किया। इससे जौनपुर में मुंबई वाले कृपाशंकर सिंह की राह आसान हो गई।
इसी तरह राजा भैया से भी अमित शाह की बात होने की खबर है और उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और केंद्रीय मंत्री रहे संजीव बालियान ने प्रतापगढ़ जाकर राजा भैया से मुलाकात की। हालांकि इसके बावजूद उन्होंने भाजपा और सपा से समान दूरी रखी और अपने समर्थकों से कहा कि वे जिसको मन हो उसको वोट दें। तभी यह बड़ा सवाल है कि क्या राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में ठाकुर वोट भाजपा को नहीं दिला पा रहे हैं? असल में ऐसी बात नहीं है। उत्तर प्रदेश में पहले दिन से यह चर्चा है कि मोदी से ज्यादा योगी फैक्टर काम कर रहा है। तभी माना जा रहा है कि दूसरे ठाकुर नेताओं को पटाने की कोशिश के जरिए यह दिखाने की कोशिश हो रही है कि योगी कामयाब नहीं हैं इसलिए पार्टी के शीर्ष नेताओं को अलग अलग इलाके के बाहुबली ठाकुर नेताओं को पटाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।