कांग्रेस नेता राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की रैलियों में एक के बाद एक कई जगह भगदड़ मची है। लोग घेरा तोड़ कर बिल्कुल मंच के पास पहुंच गए। यह भी हुआ कि लोगों की भीड़ हेलीकॉप्टर के पास पहुंच गई। एक हफ्ते में ऐसी तीन घटनाएं हुई हैं। चुनाव के बीच इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लेने की जरुरत है। पार्टियों और रैली का बंदोबस्त करने वाले नेताओं के साथ साथ बड़े नेताओं की सुरक्षा का ध्यान रखने वाली एजेंसियों को इस पर नजर रखनी चाहिए। 33 साल पहले लोकसभा चुनाव की रैली के दौरान ही राजीव गांधी को निशाना बनाया गया था।
बहरहाल, उत्तर प्रदेश में हाल में हुई घटनाओं को गंभीरता से लेने की जरुरत है। प्रयागराज के फूलपुर में जिस तरह से राहुल और अखिलेश यादव की रैली के दौरान लोग घेरा तोड़ कर मंच के पास पहुंच गए और दोनों की अपील का उन पर कोई असर नहीं हुआ, यह चिंताजनक है। लोगों की बेकाबू भीड़ की वजह से राहुल और अखिलेश को रैली रद्द करनी पड़ी और दोनों बिना भाषण दिए हेलीकॉप्टर से वहां से रवाना हो गए। इसी तरह आजमगढ़ में अखिलेश यादव की सभा के दौरान लोगों की भीड़ बेकाबू हो गई और मंच के पास पहुंच गई। लोगों का उत्साह समझ में आता है लेकिन नेताओं की सुरक्षा और संवेदनशीलता को देखते हुए इस तरह की घटनाओं को रोकने के ठोस व कारगर उपाय करने होंगे।