राहुल गांधी और उनकी पार्टी ने अमेठी और रायबरेली को लेकर जैसा सस्पेंस बनाया था और जैसी हाइप क्रिएट की थी वह अभूतपूर्व थी। लेकिन इस दौरान जितने तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं या यह भी कह सकते हैं कि मजाक में भी जितनी बातें कही जा रही थीं, राहुल ने उन सबको सही साबित कर दिया। पहले दिन से कहा जा रहा था कि केरल की वायनाड सीट पर मतदान के बाद अमेठी और रायबरेली के उम्मीदवारों की घोषणा होगी। भाजपा ने सबसे पहले यह प्रचार शुरू किया और इसके पीछे उसका तर्क था कि कांग्रेस वायनाड में भी राहुल की जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है इसलिए वह नहीं चाहती है कि वहां यह मैसेज बने कि राहुल दूसरी सीट पर भी लड़ सकते हैं।
हालांकि वायनाड में राहुल को किसी तरह की मुश्किल की संभावना नहीं दिख रही है। फिर भी वायनाड में मतदान के बाद उनको रायबरेली से उम्मीदवार बनाए जाने से भाजपा को यह कहने का मौका मिला है कि राहुल वायनाड से भागे हैं और डरे हुए हैं। उनके अमेठी से चुनाव नहीं लड़ने की बातें भी पहले ही शुरू हो गई थीं। यह कहा जाने लगा था कि राहुल डर रहे हैं अमेठी से लड़ने से। सूत्रों के हवाले से यह खबर भी आने लगी थी कि कांग्रेस प्रियंका गांधी वाड्रा को अमेठी में स्मृति ईरानी के खिलाफ खड़ा कर सकती है। कांग्रेस के इकोसिस्टम से ही यह समझाया जा रहा था कि गांधी परिवार के लोग अमेठी से करियर शुरू करते हैं। फिरोज गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी और राहुल गांधी सबने अपना पहला चुनाव अमेठी से लड़ा था। यह किसी ने नहीं बताया कि महिलाओं ने यानी इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी ने रायबरेली से करियर शुरू किया था। बहरहाल, अब कहा जा रहा है कि राहुल जीत जाएंगे तो दो में से एक सीट खाली करेंगे और वहां से प्रियंका चुनाव लड़ेंगी।