प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अयोध्या में रामलला के दर्शन करने और रोडशो करने से पहले उत्तर प्रदेश के सीतापुर और इटावा में चुनावी सभाओं को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने एक सभा में कहा कि पहले ‘शाही परिवार’ का ही प्रधानमंत्री बनता था, इस ‘चायवाले’ ने इस कुप्रथा का अंत किया। शाही परिवार का मतलब नेहरू गांधी परिवार और चायवाला मतलब खुद प्रधानमंत्री मोदी। लेकिन सवाल है कि प्रधानमंत्री जिसे शाही परिवार कहते हैं उससे तो अब कोई प्रधानमंत्री नहीं बनता है। देश के लोग तो अब भूल भी गए होंगे कि आखिरी बार कब इस शाही परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री बना था। इसी तरह 10 साल प्रधानमंत्री रहने के बाद चायवाला का नैरेटिव क्या लोगों को प्रभावित कर सकता है? ध्यान रहे लालू प्रसाद जब पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे तब वे कहा करते थे कि वे सींग पकड़ कर भैंस पर चढ़ जाते हैं। लेकिन पांच साल के बाद उन्होंने भैंस चराने या भैंस पर चढ़ने की बातें बंद कर दी थी। लेकिन नरेंद्र मोदी 13 साल मुख्यमंत्री और 10 साल प्रधानमंत्री यानी 23 साल से देश के दो सर्वोच्च पदों पर रहने के बाद भी चायवाला का नैरेटिव चलाते रहते हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री जिसे शाही परिवार कह कर संबोधित करते हैं, उस परिवार से प्रधानमंत्री बनने वाले आखिरी सदस्य राजीव गांधी थे। ठीक 40 साल पहले 1984 में राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे। अपनी मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वे प्रधानमंत्री बने थे। पांच साल तक प्रधानमंत्री रहने के बाद उनकी सरकार 1989 में चुनाव हार गई थी। कांग्रेस हालांकि तब भी करीब दो सौ सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन राजीव गांधी ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया था और तब 143 सीट वाले जनता दल ने वीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई थी, जिसको 33 सीटों पर सीपीएम और 85 सीट वाली भाजपा ने समर्थन दिया था। इस तरह 1989 के बाद से यानी पिछले 35 साल से नेहरू गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री नहीं बना है, जबकि उसके बाद 15 साल तक कांग्रेस की सरकार रही है।
जहां तक शाही परिवार के सदस्यों के प्रधानमंत्री बनने की कथित कुप्रथा को समाप्त करने की बात है तो वह काफी पहले दूसरे लोग समाप्त कर चुके हैं। राजीव गांधी के बाद मांडा के राजा वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने थे और फिर किसान परिवार के चंद्रशेखर ने कुर्सी संभाली थी। 1991 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो आंध्र प्रदेश के एक बेहद पढ़े लिखे नेता पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने थे। उसके बाद किसान परिवार के एचडी देवगौड़ा और विदेश मामलों के जानकार आईके गुजराल प्रधानमंत्री बने तो एक साधारण स्कूल मास्टर के बेटे अटल बिहारी वाजपेयी भी देश के प्रधानमंत्री रहे। जब 2004 में कांग्रेस की सरकार बनी तो पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए बेहद साधारण परिवार के और दो फीसदी से कम आबादी वाले अल्पसंख्यक समुदाय के डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने और 10 साल पद पर रहे। सो, किसी शाही परिवार के सदस्य के प्रधानमंत्री बनने की कोई प्रथा अगर देश में थी तो वह 1989 में समाप्त हो चुकी है। पिछले 35 साल में आठ अलग अलग लोग देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं।