राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

सरकार में घटक दलों को क्या मिलेगा?

दस साल तक पूर्ण बहुमत की मजबूत सरकार के बाद अब गठबंधन सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राजनाथ सिंह, अमित शाह और जेपी नड्डा सहयोगी पार्टियों के नेताओं से बात कर रहे हैं। सहयोगियों से मांगपत्र लिया जा रहा है। इस बीच कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि किसी सहयोगी को रक्षा मंत्रालय चाहिए तो किसी को रेल और किसी को गृह मंत्रालय चाहिए। लेकिन गठबंधन की राजनीति का इतिहास देखें तो आमतौर पर सरकार का नेतृत्व करने वाली पार्टी ही शीर्ष चार मंत्रालय अपने पास रखती है। एक अपवाद जॉर्ज फर्नांडीज का है, जो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रक्षा मंत्री थे। मनमोहन सिंह की पहली सरकार कांग्रेस के सिर्फ 145 सांसदों वाली थी फिर भी शीर्ष चारों मंत्रालय कांग्रेस के पास ही रहे थे। शरद पवार जैसे बड़े नेता कृषि और 25 सांसदों वाले लालू प्रसाद को रेल मंत्रालय मिला था।

बहरहाल, इस समय मुख्य रूप से दो पार्टियों की मांग पर विचार किया जा रहा है। तेलुगू देशम पार्टी और जनता दल यू। ये दोनों पार्टियां एनडीए के साथ रहती हैं तो भाजपा को किसी और पार्टी की ज्यादा परवाह करने की जरुरत नहीं होगी तभी जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा की ओर से इन दो पार्टियों के नेताओं की मांग पर विचार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि चंद्रबाबू नायडू स्पीकर का पद चाहते हैं लेकिन वे इसके लिए दबाव नहीं डालेंगे। उनका फोकस बुनियादी ढांचे से जुड़े मंत्रालयों पर है, जिनका बजट बड़ा होता है। वे अमरावती में आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाना चाहते हैं, जिसे जगन मोहन रेड्डी ने रोक दिया था। इसके लिए उनको बड़ा फंड चाहिए। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज की मांग कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि कम से कम चार मंत्री पद के साथ साथ वे अपने राज्य के कुछ अधिकारियों की तैनाती भी दिल्ली में चाहते हैं।

इसी तरह नीतीश कुमार के बारे में कहा जा रहा है कि वे पूरे देश में जाति गणना कराने की मांग कर रहे हैं तो बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज मांग रहे हैं। उनकी पार्टी का कहना है कि इस चुनाव में जिस तरह से तेजस्वी यादव ने विकास और रोजगार का मुद्दा उठाया उसे देखते हुए विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए सरकार को काम करके दिखाना होगा। वह विशेष पैकेज के बगैर संभव नहीं होगा। बताया जा रहा है कि वे भी चार मंत्री पद मांग रहे हैं और ग्रामीण विकास, कृषि, रेल, जल संसाधन जैसे मंत्रालयों पर उनकी नजर है। पांच सांसदों वाले चिराग पासवान भी इस बार अपने चाचा पशुपति पारस की तरह खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय लेकर नहीं मानने वाले हैं। बताया जा रहा है कि वे नागरिक विमानन या अपने पिता का पुराना खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय चाहते हैं। जीतन राम मांझी अपनी पार्टी के अकेले सांसद हैं और उनको भी कैबिनेट मंत्री पद चाहिए। एकनाथ शिंदे के सात सांसद जीते हैं और वे भी पहले की तरह भारी उद्योग मंत्रालय से संतोष नहीं करेंगे। अनुप्रिया पटेल पूरी तरह से भाजपा की मर्जी पर हैं लेकिन जयंत चौधरी एक राज्यसभा और दो लोकसभा सीट के दम पर अच्छे मंत्रालय की उम्मीद कर रहे हैं।

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *