भारतीय जनता पार्टी की कर्नाटक की चिंता खत्म नहीं हो रही है। पार्टी ऐसा दिखा रही है कि सब कुछ ठीक है और वह फिर से 2019 का प्रदर्शन दोहराएगी। इसके लिए नेतृत्व के स्तर पर सब ठीक कर दिया गया है। कर्नाटक में भाजपा के लिए नेतृत्व के स्तर पर सब ठीक करने का मतलब है कि सब कुछ बीएस येदियुरप्पा को सौंप दिया गया है।
उनको भाजपा के संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया गया है, उनके विधायक बेटे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है और उनके सांसद बेटे को फिर से टिकट दे दी गई है। सो, नेतृत्व के स्तर पर सब ठीक हो गया है और साथ ही गठबंधन के स्तर पर भी सब कुछ ठीक कर लिया गया है। एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस से तालमेल हो गया है और पिछली बार निर्दलीय जीतीं सुमनलता अंबरीष भी भाजपा में शामिल हो गई हैं।
तभी सवाल है कि जब सब कुछ ठीक है तो पार्टी के पुराने और आजमाए हुए नेताओं की टिकट इतनी संख्या में क्यों काटी जा रही है और क्यों जनार्दन रेड्डी की जरुरत पड़ी है? ध्यान रहे भाजपा ने छह बार के सांसद अनंत हेगड़े की टिकट काट दी है और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतिल को भी टिकट नहीं दी गई है।
इसके बाद बेल्लारी बंधुओं में सबसे चर्चित रहे जी जनार्दन रेड्डी को पार्टी में शामिल करा लिया गया है। उनका खनन का बड़ा काम है और उनके खिलाफ अवैध खनन सहित दूसरे कई मामलों में सीबीआई के नौ मुकदमे चल रहे हैं। लेकिन ऐन चुनाव से पहले भाजपा ने उनको पार्टी में शामिल कराया है। रेड्डी ने कहा है कि वे ‘अपनी मां की गोद में लौट आए हैं’। इस बीच केएस ईश्वरप्पा और डीवी सदानंद गौड़ा जैसे बड़े नेताओं के नाराज होने की भी खबरें हैं।