हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के लिए स्थितियां काफी अनुकूल बताई जा रही हैं। वहां भाजपा के 10 साल की सरकार के खिलाफ एंटी इन्कम्बैंसी है, जिसे कम करने के लिए भाजपा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बदला और नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया। लेकिन इससे जमीनी स्तर पर बहुत कुछ बदला नहीं दिख रहा है।
तभी कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि हरियाणा में लोकसभा चुनाव में बराबरी का मुकाबला है और इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीत कर सरकार बना सकती है। कांग्रेस के रास्ते में सिर्फ एक ही बाधा बताई जा रही है और वह है कि पार्टी के नेताओं का आपसी झगड़ा। राज्य में कांग्रेस आलाकमान ने पूरी तरह से भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कमान बनवाई है लेकिन उनके खिलाफ ‘एसआरके’ यानी शैलजा, रणदीप और किरण चौधरी की तिकड़ी के सक्रिय होने और अलग राजनीति करने की खबरें भी हैं। काफी अरसे बाद इन सभी नेताओं ने एकजुटता दिखाई है।
मौका था कि कांग्रेस छोड़ कर गए चौधरी बीरेंद्र सिंह की घर वापसी का। उनके बेटे बृजेंद्र सिंह ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता और हिसार लोकसभा सीट दोनों से इस्तीफा देकर पहले ही कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। लेकिन नवरात्रों के पहले दिन यानी मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रेमलता सिंह कांग्रेस में शामिल हुए। इस मौके पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ साथ एक मंच पर कुमारी शैलजा थीं तो रणदीप सुरजेवाला भी थे और कैप्टेन अजय यादव भी थे।
इन सब नेताओं की साझा तस्वीर कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने वाली है। कांग्रेस के कई जानकार नेता कह रहे हैं कि अगर सभी नेता मिल कर लड़ें और जाट व दलित का समीकरण काम कर जाए तो लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस बराबरी की टक्कर देगी। ध्यान रहे बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र को हिसार से चुनाव लड़ना है तो शैलजा सिरसा से दावेदार हैं। भूपेंद्र हुड्डा के बेटे और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा फिर रोहतक सीट से लड़ेंगे।