भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर कितनी बेचैन है इसका एक सबूत पिछले दिनों मिला, जब नोएडा में स्थित गलगोटिया यूनिवर्सिटी के छात्र कांग्रेस मुख्यालय पर प्रदर्शन करने पहुंचे। वहां कुछ छात्र धरने पर बैठे और कुछ नारेबाजी करते रहे। जब मीडिया के लोग पहुंचे तो छात्रों ने बताया कि वे कहां से आए हैं लेकिन यह नहीं बता पाए कि वे किस लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ छात्रों ने तो खुल कर बताया कि वे भाजपा का समर्थन करने आए हैं और कुछ छात्रों ने कहा कि कांग्रेस का विरोध करने आए हैं।
उन्हें यह कतई नहीं पता था कि भाजपा का समर्थन किस बात के लिए करना है और कांग्रेस का विरोध किस बात के लिए। छात्र जो प्लेकार्ड लेकर आए थे उस पर लिखे नारे भी नहीं पढ़ पा रहे थे और न उसके बारे में उनको कुछ पता था। वीडियो फुटेज में छात्रों का अज्ञान तो दिखता ही है साथ ही यह भी दिखता है कि वे किस तरह से राजनीतिक मकसद के लिए प्यादे के तौर पर इस्तेमाल किए गए। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस प्रदर्शन के बारे में ट्विट करके जानकारी दी थी।
गलगोटिया यूनिवर्सिटी के बाद अब दिल्ली यूनिवर्सिटी की बारी है। दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से आठ मई को ‘रन फॉर विकसित भारत’ का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बताया जा रहा है कि पांच हजार छात्र शामिल होंगे। इसका मकसद भारत को 2047 तक विकसित बनाने के प्रति लोगों को जागरूक करना है। सोचें, 2047 तक विकसित भारत बनाने का वादा भाजपा के घोषणापत्र में किया गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के तमाम नेता इसका जिक्र चुनावी कार्यक्रमों में कर रहे हैं।
देश में आचार संहिता लागू है लेकिन एक सरकारी संस्थान की ओर से पांच हजार छात्र जुटाए जा रहे हैं, जो भाजपा के एक चुनावी एजेंडे का प्रचार करने के लिए सड़कों पर दौड़ेंगे। जब यह पूछा गया कि 2047 तक विकसित भारत बनाना भाजपा का चुनावी एजेंडा है, देश में चुनाव चल रहे हैं, आचार संहिता लगी हुई है और ऐसे समय में दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन क्यों किया जा रहा है तो यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने सिर्फ इतना कहा कि यह राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है। सवाल है कि इससे ज्यादा राजनीति कार्यक्रम क्या हो सकता है?