चुनाव आयोग एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था है और वह अपनी स्वतंत्रता और निष्पक्षता का हमेशा प्रदर्शन भी करता रहता है। जैसे चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं के हेलीकॉप्टर की तलाशी में उसकी निष्पक्षता दिख रही है। उसने सिर्फ कांग्रेस नेताओं के हेलीकॉप्टर की ही तलाशी नहीं ली है, बल्कि तृणमूल कांग्रेस और यहां तक कि बीजू जनता दल के नेताओं के हेलीकॉप्टर को भी नहीं छोड़ा है। कांग्रेस के नेता उस पर यह आरोप नहीं लगा सकते हैं कि वह सिर्फ उनके नेताओं के हेलीकॉप्टर की तलाशी ले रही है। भारतीय जनता पार्टी के सबसे ज्यादा हेलीकॉप्टर इस चुनाव में उड़ रहे हैं। लेकिन संयोग है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोग की नजर उन पर नहीं पड़ी है। लेकिन किसी न किसी दिन तो नजर पड़ेगी और तब निश्चित रूप से आयोग उनको भी नहीं छोड़ेगा।
अभी जो ताजा तलाशी का मामला है वह बीजू जनता दल के नेता और पूर्व आईएएस अधिकारी वीके पांडियन का है। उनको जेड श्रेणी की सुरक्षा मिला हुई है। शुक्रवार को ओडिशा के नबरंगपुर लोकसभा क्षेत्र के उमरकोटे में पांडियन के हेलीकॉप्टर की तलाशी हुई। सुरक्षा बलों के साथ चुनाव आयोग की टीम ने 45 मिनट तक तलाशी लीं। हालांकि इसमें कुछ मिला नहीं है। लेकिन कोई बात नहीं किसी न किसी दिन तो कुछ मिलेगा! इससे पहले चुनाव आयोग की टीम ने तमिलनाडु के नीलगिरी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हेलीकॉप्टर की तलाशी ली थी। उसमें भी कुछ मिला नहीं था लेकिन कोई बात नहीं, अभी 30 मई तक चुनाव प्रचार है। उससे भी पहले तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी के हेलीकॉप्टर की तलाशी ली गई थी। संयोग देखिए कि उसमें भी चुनाव आयोग को कुछ नहीं मिला। अब विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग को ललकार रहीं हैं कि हिम्मत है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हेलीकॉप्टर की जांच करें या किसी दूसरे भाजपा नेता के ही हेलीकॉप्टर की जांच करें। लेकिन आयोग को इस जाल में नहीं फंसना है। उसे निष्पक्ष बने रहना है। अभी कई विपक्षी पार्टियां और हैं, जिनके नेता हेलीकॉप्टर से उड़ रहे हैं।