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भाजपा के सहयोगियों की कहानी

Lok Sabha Election 2024

भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में नए सहयोगी बना रहे है। लोकसभा चुनाव से पहले उसने तमाम भूले भटके पुराने सहयोगियों को याद किया और किसी न किसी तरह से उनको अपने साथ जोड़ लिया। एक सिर्फ ओडिशा में उसकी कोशिश नाकाम हो गई, जहां बीजू जनता दल के साथ बात काफी आगे बढ़ जाने के बावजूद तालमेल नहीं हो सका।

पंजाब दूसरा राज्य है, जहां अभी गठबंधन फाइनल नहीं हुआ है लेकिन माना जा रहा है कि वहां अकाली दल के तालमेल हो जाएगा। उससे पहले बिहार में नीतीश कुमार की घर वापसी हो गई, कर्नाटक में एचडी देवगौड़ा भाजपा के साथ मिल गए और आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू भी एनडीए में लौट गए। इसके अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु हर जगह भाजपा ने तालमेल किया है।

भाजपा के पुराने सहयोगी लौट रहे हैं और नए सहयोगी बन रहे हैं लेकिन असल में भाजपा के किसी सहयोगी की कहानी बहुत सुखद नहीं है। भाजपा के साथ लड़ कर नीतीश कुमार बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी हो गए हैं। 2009 में बिहार की 40 में से 25 सीटों पर उनकी पार्टी लड़ी और 20 जीती थी, जबकि भाजपा 15 पर लड़ कर 12 जीती थी। इसके अगले साल 2010 के विधानसभा चुनाव में 143 सीट पर लड़ कर नीतीश 116 जीते थे और भाजपा एक सौ सीट लड़  कर 91 जीती थी।

लेकिन आज नीतीश कुमार 16 लोकसभा लड़ रहे हैं और विधानसभा में उनके महज 45 विधायक हैं। बिहार में भाजपा की मजबूत रही लोक जनशक्ति पार्टी दो हिस्सों में बंट गई थी और भाजपा ने पशुपति पारस को तीन साल तक केंद्र में मंत्री बना कर रखा। चुनाव के समय पारस को आउट करके भाजपा ने चिराग पासवान से तालमेल कर लिया। बिहार में एक और सहयोगी मुकेश सहनी थे, जिनके पिछली बार चार विधायक जीते थे। उनके एक विधायक का निधन हो गया और बाकी तीन को भाजपा ने अपनी पार्टी में शामिल करा लिया।

यह सिर्फ बिहार की कहानी नहीं है। महाराष्ट्र में भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिव सेना है, जिसमें भाजपा की मदद से 2022 में विभाजन हुआ और अलग हुए गुट के नेता एकनाथ शिंदे को भाजपा ने मुख्यमंत्री बना दिया। उससे पहले आंध्र प्रदेश में भाजपा ने अलग कमाल किया। अपने सहयोगी रहे चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी के छह में से चार राज्यसभा सांसदों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया था। अब वही चंद्रबाबू नायडू फिर से भाजपा से तालमेल करके चुनाव लड़ रहे हैं।

हरियाणा में भाजपा ने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के 10 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी ने तालमेल खत्म करके उनको अकेले लड़ने के लिए छोड़ दिया। दुष्यंत चौटाला के दादा ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल भी पहले भाजपा की सहयोगी थी, जो अब लगभग खत्म हो गई है। तमिलनाडु में भाजपा की सहयोगी अन्ना डीएमके भी दो टुकड़ों में बंट गई और अब भाजपा उसकी जगह लेने के लिए नया गठबंधन बना कर लड़ रही है। 15 साल पहले बीजू जनता दल ने भाजपा से तालमेल तोड़ लिया था तो अभी तक बची हुई है और स्वतंत्र रूप से अपनी सरकार चला रही है।

By NI Political Desk

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