एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने हालिया लोकसभा चुनावों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। बताया है कि 538 निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 5,89,691 मतों की विसंगतियां पाई गईं। 362 सीटों पर डाले गए मतों की तुलना में गिने गए मतों की संख्या कम थी, जबकि 176 सीटों पर यह संख्या अधिक थी।एडीआर ने अंतिम मतदान प्रतिशत को जारी करने में अत्यधिक देरी पर भी सवाल उठाया।
एडीआर के संस्थापक जगदीप छोकर ने सवाल किया कि क्या चुनाव परिणाम मिलान किए गए अंतिम आंकड़ों के आधार पर घोषित किए गए थे, और कहा कि ‘इससे चुनाव परिणामों की सत्यता को लेकर चिंता और सार्वजनिक संदेह पैदा होता है।’
संगठन ने एक बयान में कहा, ‘चुनाव आयोग अब तक मतगणना के अंतिम और प्रामाणिक आंकड़े जारी करने से पहले चुनाव परिणाम घोषित करने, ईवीएम में डाले गए मतों और ईवीएम में गिने गए मतों में अंतर, मतदान प्रतिशत में वृद्धि, डाले गए मतों की संख्या का खुलासा न करने, डाले गए मतों के आंकड़ों को जारी करने में अनुचित देरी और अपनी वेबसाइट से कुछ डेटा को हटाने के संबंध में कोई उचित स्पष्टीकरण देने में विफल रहा है।’
संगठन ने कहा कि चुनावों की शुचिता और वैधता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या, मतदाता रजिस्टर में दर्ज मतदाताओं की कुल संख्या और सभी संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में ईवीएम के अनुसार मतदाताओं की संख्या प्रकाशित करनी चाहिए।एडीआर ने आगे कहा, ‘मतदाताओं के मन से किसी भी प्रकार की आशंकाओं को दूर करने के लिए, चुनाव आयोग को 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों और भविष्य के सभी चुनावों के लिए सार्वजनिक डोमेन में निम्नलिखित जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए-वैधानिक फॉर्म 17सी, फॉर्म 20, फॉर्म 21सी, फॉर्म 21डी और फॉर्म 21ई।’