भारतीय जनता पार्टी ने बिहार और झारखंड में बहुत पहले अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी। हालांकि झारखंड में अभी तक नामांकन शुरू नहीं हुआ है क्योंकि राज्य की 14 लोकसभा सीटों पर चौथे चरण से मतदान शुरू होना है। इसलिए 18 अप्रैल से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। बिहार में सभी सात चरणों में चुनाव होने वाले हैं।
पहले दो चरण के नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई और तीसरे चरण का नामांकन चल रहा है। लेकिन दोनों राज्यों में टिकट बंटवारे के साथ शुरू हुआ विवाद खत्म नहीं हो रहा है। वैसे तो भाजपा ने बहुत कम नेताओं की टिकट काटी है लेकिन जिनकी टिकट कटी है उनमें से कई नेता बागी हो गए हैं और चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचाने का संकल्प किए हुए हैं। जिन नेताओं को भाजपा ने टिकट दी है या जिनकी टिकट रिपीट की है उनके खिलाफ अलग नाराजगी है, जो प्रत्यक्ष दिखाई दे रही है। इसकी वजह से कई सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों की लड़ाई मुश्किल हो गई है।
बिहार की शिवहर सीट से सांसद रमा देवी की टिकट भाजपा ने काट दी है। वे वैश्य समुदाय से आती हैं। उनका समुदाय उनके साथ है और कहा जा रहा है कि वे अपनी बेटी रागिनी गुप्ता को पूर्वी चंपारण सीट पर राधामोहन सिंह के खिलाफ चुनाव में उतारेंगी। विपक्षी गठबंधन में यह सीट विकासशील इंसान पार्टी के पास है, जिसके नेता से उनकी बात हो रही है। इसी तरह बक्सर सीट पर टिकट कटने से नाराज अश्विनी चौबे के समर्थक भाजपा के मिथिलेश तिवारी के खिलाफ कमर कसे हुए हैं।
मिथिलेश तिवारी गोपालगंज के रहने वाले हैं, जिनको बक्सर ले जाकर लड़ाया जा रहा है। मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और भाजपा के राजभूषण चौधरी के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। पिछले चुनाव में अजय निषाद ने राजभूषण चौधरी को ही हराया था लेकिन इस बार भाजपा ने उनको ही टिकट दे दी।
उधर झारखंड में सबसे ज्यादा विवाद धनबाद सीट को लेकर है, जहां भाजपा ने ढुलू महतो को टिकट दिया है। उनको लेकर कई तरह के विवाद हैं। सरयू राय का दावा है कि उनके ऊपर 50 मुकदमे हैं। भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ साथ सबसे प्रतिबद्ध मतदाता समूह यानी वैश्य और सवर्ण दोनों नाराज बताए जा रहे हैं।
हजारीबाग में जयंत सिन्हा की टिकट कटने से भी नाराजगी है और उनके पिता यशवंत सिन्हा ने सोशल मीडिया में यह जानकारी दी है कि भाजपा उम्मीदवार मनीष जायसवाल के बेटे ने 2021 में चार करोड़ का चुनावी बॉन्ड खरीद कर पार्टी को दिया और उनको 2024 में टिकट मिल गई। दुमका में शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन को टिकट देने से भी पार्टी नेताओं में नाराजगी है।