दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा रह रह कर जोर मारती है। जैसे अभी चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत पर जेल से निकलने के बाद उनकी महत्वाकांक्षा जोर मार रही है। उन्होंने यह दावा किया है कि अब उनकी पार्टी एक नेशनल फोर्स है और वह एक बड़ी राष्ट्रीय ताकत के तौर पर चुनाव लड़ रही है। हालांकि यह अलग बात है कि उनकी पार्टी देश की 543 में से सिर्फ 22 लोकसभा सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है। लेकिन उन्होंने एक इंटरव्यू में दावा किया है कि पहले उनकी पार्टी एक सीमित क्षेत्रीय ताकत के तौर पर चुनाव लड़ती थी लेकिन अब एक नेशनल फोर्स है और बड़ी ताकत के तौर पर चुनाव लड़ रही है।
ध्यान रहे केजरीवाल एक बार चार सौ से ज्यादा सीट पर भी चुनाव लड़ चुके हैं और तभी वे अपने को राष्ट्रीय ताकत मानने लगे थे। लेकिन इस बार का मामला थोड़ा अलग है। इस बार केजरीवाल भले 22 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन विपक्षी गठबंधन के नेता के तौर पर प्रचार पूरे देश में कर रहे हैं। वे कांग्रेस के साथ साथ समाजवादी पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा से लेकर उद्धव ठाकरे की शिव सेना और शरद पवार की एनसीपी के भी लिए भी प्रचार कर रहे हैं। वे देश भर का दौरा कर रहे हैं। दिल्ली और पंजाब के अलावा उन्होंने हरियाणा में रैली की है तो झारखंड में भी रैली की है। वे लखनऊ में जाकर अखिलेश यादव के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस करके भी आए। सो, अगर विपक्ष का प्रदर्शन ठीक होता है तो इसका श्रेय उनको भी मिलेगा और आगे के विधानसभा चुनावों में वे सचमुच एक ताकत के तौर पर लड़ने लायक हो जाएंगे।