नई दिल्ली और बेंगलुरू में सत्तापक्ष और विपक्ष के गठबंधन की बैठक होने वाली है। भाजपा और कांग्रेस दोनों की ओर से ज्यादा से ज्यादा पार्टियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए प्रयास हो रहा है लेकिन ऐसे में भी कई पार्टियां ऐसी हैं, जो तमाशबीन रहेंगी। ये बड़ी पार्टियां हैं। राज्यों में सत्तारूढ़ हैं लेकिन किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। इन पार्टियों ने अपने को भाजपा और कांग्रेस दोनों से अलग रखा है। इनमें से कुछ पार्टियां ऐसी हैं, जो मुद्दों के आधार पर केंद्र सरकार को समर्थन देती हैं। हालांकि पहले विपक्षी गठबंधन की ओर से इनको अपने साथ लाने का प्रयास किया गया था। लेकिन कामयाबी नहीं मिली थी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भुवनेश्वर जाकर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात की थी और उनको विपक्षी गठबंधन में आमंत्रित किया था। इसी तरह आंध्र प्रदेश की दोनों पार्टियों- वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी से नीतीश कुमार को बात करनी थी। लेकिन ये दोनों पार्टियां भी सैद्धांतिक रूप से भाजपा को ही साथ देती हैं। इन पार्टियों ने राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार का साथ दिया था। लेकिन ये भाजपा गठबंधन में भी शामिल नहीं हैं। इसी तरह तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति का रूझान भाजपा विरोध का रहा है लेकिन अभी तक उसने विपक्षी गठबंधन से दूरी बनाए रखी है। अकाली दल के बारे में भी 16 जुलाई तक फैसला नहीं हो पाया था। हालांकि उसके भाजपा के साथ जाने की संभावना ज्यादा है।