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लालू-तेजस्वी भाजपा के अगले साथी?

Lalu Prasad Yadav

बिहार में राजद नेता लालू यादव और तेजस्वी यादव ने और कांग्रेस का गठबंधन लगभग तोड़ दिया है। लालू प्रसाद ने उम्मीदवारों की एकतरफा घोषणा करके महागठबंधन को समाप्त किया है। नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ जाने के बाद से ही माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन का कोई भविष्य नहीं बचा।

फिर भी राजद, कांग्रेस और तीन लेफ्ट पार्टियों के बीच अगर ठीक से तालमेल होता और तीनों पार्टियां ढंग से चुनाव लड़तीं तो बिहार की आधी सीटों पर वह भाजपा और जदयू गठबंधन को कड़ी टक्कर दे सकती थीं। लेकिन लालू प्रसाद ने इस संभावना को भी खत्म कर दिया। उन्होंने लगभग उन सभी सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए है, जिन्हे कांग्रेस मांग रही थी या जहां कांग्रेस के पास मजबूत उम्मीदवार थे।

लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव ने बेगूसराय लोकसभा सीट कांग्रेस को नहीं दी। कांग्रेस चाहती थी कि कन्हैया कुमार उस सीट पर लड़ें। लेकिन बिना कांग्रेस से बात किए लालू प्रसाद ने सीपीआई को वह सीट दे दी और वहां से अवधेश राय उम्मीदवार हो गए। ध्यान रहे पिछले चुनाव में सीपीआई की टिकट से लड़ रहे कन्हैया कुमार को हराने के लिए लालू प्रसाद ने बेगूसराय सीट पर तनवीर हसन को उतारा था, जिनको दो लाख वोट मिले थे। इस बार चुनाव लड़ने से पहले ही लालू ने कन्हैया का पत्ता काट दिया।

इसी तरह लालू प्रसाद ने पूर्णिया सीट पर जनता दल छोड़ कर आईं विधायक बीमा भारती को टिकट दे दिया है। पिछले दिनों इस इलाके के दिग्गज नेता और तीन बार सांसद रहे पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया था। कांग्रेस उनको पूर्णिया से उम्मीदवार बनाना चाहती थी। कांग्रेस में शामिल होने से एक दिन पहले पप्पू यादव ने पटना में लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव दोनों से मुलाकात की थी। उन्होंने लालू प्रसाद को पितातुल्य और तेजस्वी को छोटा भाई बताया था।

लेकिन सब कुछ तय होने के बाद भी उनके साथ धोखा हो गया। लालू चाहते हैं कि पप्पू यादव पूर्णिया नहीं सुपौल या मधेपुरा से लड़ें। दूसरी ओर पप्पू यादव ने साफ कर दिया है कि वे पांच साल से पूर्णिया में काम कर रहे हैं और तीन बार वहां से सांसद रहे हं इसलिए वे सीट नहीं छोड़ेंगे।

इसी तरह लालू प्रसाद ने औरंगाबाद सीट पर भी जदयू से लाए गए अभय कुशवाहा को उम्मीदवार बना दिया, जबकि कांग्रेस अपने पूर्व सांसद और दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर निखिल कुमार को चुनाव लड़ाना चाहती है। उन्होंने घोषित कर दिया है कि वे औरंगाबाद से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे ही मीरा कुमार सासाराम नहीं लड़ना चाहती थीं, वे अपने बेटे के लिए काराकाट सीट चाहती थीं, जो लालू प्रसाद ने सीपीआई एमएल को दे दी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह पूर्वी चंपारण सीट से सांसद रहे हैं वे पूर्वी चंपारण या उसके बदले नवादा की सीट मांग रहे थे लेकिन लालू ने दोनों सीटों पर अपने कुशवाहा उम्मीदवार उतार दिए। लालू प्रसाद तारिक अनवर के लिए कटिहार सीट भी नहीं छोड़ना चाहते हैं। वे वहां से राज्यसभा के पूर्व सांसद अशफाक करीम को लड़ाना चाहते हैं। कांग्रेस ब्राह्मण उम्मीदवार के लिए बक्सर सीट मांग रही थी लेकिन लालू ने वहां अपना उम्मीदवार उतार दिया। कुल मिला कर लालू प्रसाद कांग्रेस की पारंपरिक सीटों की बजाय नई और अपेक्षाकृत ज्यादा कमजोर सीट दे रहे हैं।

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