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डिप्टी स्पीकर पर कैसे बनेगी सहमति?

भारतीय जनता पार्टी ने 18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू होने से पहले लोकसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के पद पर सहमति बनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। अनौपचारिक बातचीत भी हो रही है और मंगलवार को एक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भाजपा की सहयोगी पार्टियों के नेताओं के साथ एक बैठक की। इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ साथ जनता दल यू, लोक जनशक्ति पार्टी आदि के नेता भी शामिल हुए। भाजपा में चल रही औपचारिक और अनौपचारिक वार्ताओं का लब्बोलुआब यह है कि दोनों पदों पर सहमति बनानी मुश्किल है।

इस मुश्किल का सबसे बड़ा कारण यह है कि पहले की तरह इस बार तटस्थ रहने वाले दलों की संख्या बहुत कम है और अगर है भी तो उनके पास सासंद नहीं हैं। जिन पार्टियों के पास सांसद हैं उनसे गठबंधन की मजबूरियों के चलते भाजपा सद्भाव नहीं दिखा सकती है। पिछली बार दो बड़ी पार्टियां वाईएसआर कांग्रेस और बीजू जनता दल तटस्थ पार्टियां थीं। इस बार बीजद का कोई सांसद नहीं है और वाईएसआर के चार सांसद हैं। लेकिन उसके किसी सांसद को भाजपा डिप्टी स्पीकर नहीं बना सकती है क्योंकि उसकी चिर प्रतिद्वंद्वी टीडीपी सरकार में शामिल है। भाजपा की पुरावी सहयोगी अन्ना डीएमके भी तटस्थ पार्टी हो सकती थी लेकिन उसका कोई सांसद नहीं जीता है। बहुजन समाज पार्टी और भारत राष्ट्र समिति का भी कोई सांसद नहीं जीता है।

मनमोहन सिंह की पहली सरकार के समय कांग्रेस ने अकाली दल के चरणजीत सिंह अटवाल को डिप्टी स्पीकर बना दिया गया था। तब अकाली दल एनडीए में था। इस बार वह एनडीए से बाहर है। लेकिन उसकी इकलौती सांसद हरसिमरत कौर बादल स्पीकर नहीं बनना चाहेंगी। सो, उसके पास कोई विकल्प नहीं है। कोई तटस्थ पार्टी या तटस्था सांसद नहीं दिख रहा है, जिसको डिप्टी स्पीकर का पद दिया जाएगा। तभी भाजपा की मजबूरी हो गई है कि वह या तो विपक्ष की किसी पार्टी को यह पद दे या अपनी सहयोगी पार्टी का डिप्टी स्पीकर बनाए। आदर्श स्थिति यह है कि भाजपा डिप्टी स्पीकर विपक्ष का बना दे। लेकिन इसमें उसको दिक्कत है और अगर वह अपने किसी सहयोगी को यह पद देती है तो विपक्ष को दिक्कत है। ऐसे में विपक्ष दोनों पदों के लिए उम्मीदवार खड़े कर सकता है।

राजनाथ सिंह के घर हुई बैठक के बाद जानकार सूत्रों का कहना है कि इस बात पर सहमति हो सकती है कि ‘इंडिया’ ब्लॉक में कांग्रेस के अलावा किसी दूसरी पार्टी के नेता को डिप्टी स्पीकर बना दिया जाए। वह दूसरी पार्टी दक्षिण भारत की हो सकती है। तो क्या डीएमके का कोई सांसद डिप्टी स्पीकर हो सकता है? भाजपा इसका नफा नुकसान सोच रही है। एक संभावना शरद पवार की पार्टी का डिप्टी स्पीकर बनाने की भी हो सकती है। विपक्षी पार्टियां कह रही थीं कि अगर चंद्रबाबू नायडू स्पीकर के लिए अपना उम्मीदवार उतारें तो विपक्ष उसका साथ देगा। सवाल है कि अगर डिप्टी स्पीकर का पद उनकी पार्टी को मिला तब क्या होगा? क्या तब भी विपक्ष उनका साथ देगा? यह सब कुछ इस बात से तय होगा कि भाजपा स्पीकर किसे बनाती है।

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By NI Political Desk

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