ऐसा लग रहा है कि अपनी पार्टी छोड़ कर जो भी नेता भाजपा में जा रहा है वह असुरक्षित हो जा रहा है क्योंकि भाजपा ज्वाइन करते ही उसको या तो केंद्रीय सुरक्षा मिल रही है या उसकी सुरक्षा बढ़ाई जा रही है। ताजा मामला झारखंड की सीता सोरेन का है। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा और विधानसभा से इस्तीफा दिया तो इस्तीफा देने के एक दिन बाद ही उनको जेड श्रेणी की सुरक्षा मिल गई।
वैसे उनको राज्य सरकार की ओर से वाई श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी लेकिन अब केंद्र सरकार ने उनको जेड श्रेणी की सुरक्षा दी है। अब केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 30 से ज्यादा जवान उनकी सुरक्षा में तैनात होंगे। यह भी खबर आई कि जेड श्रेणी की सुरक्षा की घोषणा होने के बाद जब तक उनकी सुरक्षा में जवान तैनात नहीं हुए तब तक वे घर से नहीं निकलीं।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के तीन विधायकों के साथ हुआ है। उन्होंने पिछले दिनों हुए राज्यसभा के चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। केंद्र सरकार ने उन तीनों विधायकों को वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान कर दी है। सोचें, राज्य में भाजपा की अपनी बुलडोजर वाली सरकार है फिर भी सपा से बगावत करने वालों को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई।
हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस से बगावत करके राज्यसभा चुनाव में भाजपा के लिए क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों को भी सुरक्षा दी गई। तभी सवाल है कि क्या ऐसा कुछ है कि अपनी पार्टी छोड़ कर भाजपा में जाने वाले नेता ज्यादा असुरक्षित हो जा रहे हैं या उनके पाला बदलने की एक शर्त यह होती है कि भाजपा उनको टिकट देने के साथ साथ ज्यादा बड़ी श्रेणी की सुरक्षा देकर उनका कद बढ़ाएगी?