Lalu Prasad Yadav : उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव की बहुत सहज तरीके से भाजपा में एंट्री हो गई। लेकिन बिहार में लालू प्रसाद के परिवार के किसी सदस्य की एंट्री बहुत मुश्किल है।
लालू प्रसाद के बड़े तेज प्रताप से अलग हुई उनकी पत्नी और उनके परिवार की बात अलग है। तभी लालू प्रसाद के साले सुभाष यादव की ओर से लालू और राबड़ी राज की पोल खोलने के बाद चल रहे विमर्श का कोई मतलब नहीं है। (Lalu Prasad Yadav)
सुभाष यादव और उनके बड़े भाई साधु यादव चाहे जितना प्रयास करें, भाजपा में उनकी एंट्री नहीं हो सकती है। इसका कारण यह है कि भाजपा और जनता दल यू को चुनाव ही इसी मुद्दे पर लड़ना है कि लालू प्रसाद के समय बिहार में जंगल राज था।
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2005 से पहले बिहार में कोई काम नहीं (Lalu Prasad Yadav)
भाजपा और जदयू ने लोकसभा का चुनाव इसी मुद्दे पर लड़ा था और अब भी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में चल रही मुख्यमंत्री की यात्रा और एनडीए की बैठकों में यही कहा जा रहा है कि 2005 से पहले बिहार में कोई काम नहीं होता था और अपराध का बोलबाला था।
नीतीश के मुख्यमंत्री बनने के बाद सब कुछ बदला है। यह भी बिहार के लोगों को ध्यान है कि उस समय यानी लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के शासन में उनके साले की अव्यवस्था, अपराध और जंगल राज के चेहरे थे।
तभी अगर उनमें से कोई भी चेहरा भाजपा या किसी सहयोगी पार्टी में शामिल होता है तो एनडीए का पूरा प्रचार ही पंक्चर होगा। (Lalu Prasad Yadav)
सुभाष यादव ने कहा है कि लालू प्रसाद के मुख्यमंत्री रहते सीएम आवास में अपहरण का सेटलमेंट होता था और फिरौती की रकम तय होती है।
भाजपा और जदयू इस खुलासे का लाभ तो उठा सकते हैं लेकिन खुलासा करने वाले को पार्टी में जगह नहीं दे सकते हैं।