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किसान आंदोलन से भाजपा की मुश्किल बढ़ेगी

Kisan Andolan Update

राजधानी दिल्ली के सीमा पर एक साल तक चले किसान आंदोलन के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा में पहली बार चुनाव होने वाला है। उस आंदोलन से प्रभावित राज्यों में हुए चुनावों में भाजपा को नुकसान हुआ है। पंजाब और उत्तर प्रदेश इसकी मिसाल है। अब महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव होने जा रहे हैं और उससे पहले एक बार फिर किसानों का आंदोलन जोर पकड़ने की संभावना दिख रही है। पंजाब के किसान इस बात को लेकर आंदोलित हैं कि 2020-21 में हुए किसान आंदोलन को समाप्त कराने के समय केंद्र सरकार ने जो वादा किया था उसे पूरा नहीं किया गया। सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की कानूनी गारंटी देने पर विचार का वादा किया था और आंदोलन खत्म होने के करीब तीन साल बाद भी विचार ही हो रहा है। सरकार का कोई इरादा एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का नहीं दिख रहा है।

तभी पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया था। हरियाणा सरकार ने पिछले आंदोलन से सबक लेकर उनको राज्य की सीमा पर ही रोक दिया। पंजाब से लगती हरियाणा की सीमा पर दो जगह शंभू बॉर्डर पर और खनौरी बॉर्डर पर बैरिकेड्स लगा कर किसानों को रोक दिया गया। किसान पांच महीने से दोनों जगह डेरा डाल कर बैठे हैं। इस बीच बॉर्डर के दूसरी ओर यानी हरियाणा की तरफ अंबाला के कारोबारियों ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि सीमा सील होने की वजह से उनका कारोबार खत्म हो रहा है। कोई छह सौ करोड़ रुपए के नुकसान का आकलन किया गया। अब हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक हफ्ते के भीतर शंभू बॉर्डर पर से बैरिकेड्स हटाए और सीमा खोले।

हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार की कोई भी दलील नहीं मानी। हरियाणा ने कहा कि सीमा खुलने पर किसान अंबाला में एसपी का कार्यालय घेरेंगे। इस पर अदालत ने कहा कि लोकतंत्र में इस तरह की चीजें होती हैं, वर्दी वालों को इससे नहीं घबराना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि किसानों की मांग केंद्र सरकार से है तो उन्हें दिल्ली जाकर अपनी बात कहने का अधिकार है। उनको दिल्ली जाने से नहीं रोका जा सकता है।

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का फैसले और किसानों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर की गई टिप्पणी से किसानों का हौसला बढ़ा है। वे फिर से दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं। पंजाब के किसान आंदोलन से जुड़े जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर ने किसानों की बैठक बुला कर फैसला करने की बात कही है। अगर पंजाब के किसान दिल्ली की ओर कूच करते हैं तो हरियाणा के किसान भी उसमें शामिल होंगे। अगर पहले किसान आंदोलन की तरह दिल्ली की सीमा पर उनको रोकने का प्रयास हुआ तो विवाद बढ़ सकता है। एमएसपी को लेकर किसान अगर दिल्ली की ओर मार्च करते हैं तो उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक के किसानों का उनको समर्थन होगा। महाराष्ट्र और हरियाणा दोनों राज्यों में चुनाव होने वाला है। दोनों जगह भाजपा या उसके गठबंधन की सरकार है और लोकसभा चुनाव में दोनों जगह भाजपा ने खराब प्रदर्शन किया है। विधानसभा चुनाव में स्थिति और बिगड़ सकती है।

By NI Political Desk

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