केरल में सरकार और राजभवन के बीच शांति बहाल हो गई है। कहा जा रहा है कि राज्यपाल बदलते ही नजरिया बदल गया है। सवाल है कि राज्यपाल बदलने से नजरिया बदला है या नजरिया बदलने के लिए राज्यपाल को बदला गया है? जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा नहीं चाहती है कि केरल में लेफ्ट सरकार को ज्यादा निशाना बनाया जाए क्योंकि उसका फायदा कांग्रेस को होगा। लोकसभा चुनाव और उसके बाद वायनाड लोकसभा सीट के उपचुनाव के नतीजों के बाद भाजपा को अहसास हो गया कि अभी उसका समय नहीं आया है। लेकिन अगले साल के चुनाव में अगर कांग्रेस जीत जाती है तो उसको एक नई सरकार मिल जाएगी, जिससे उसके राजनीतिक ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ जाएगी।
तभी पांच साल पूरे होने के बाद आरिफ मोहम्मद खान को केरल से हटा कर बिहार भेजा गया और बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को केरल भेजा गया। नए राज्यपाल के पहुंचने के तुरंत बाद नए साल में विधानसभा का पहला सत्र आहूत किया गया, जिसमें राज्यपाल का अभिभाषण हुआ। राज्यपाल अर्लेकर ने बिना किसी हील हुज्जत के सरकार की ओर से दिया गया अभिभाषण पढ़ दिया। दिलचस्प बात यह है कि अभिभाषण में केंद्र सरकार पर जम कर हमला किया गया था। उसमें राज्य सरकार ने जीएसटी में हिस्सेदारी से लेकर जीएसटी बकाए और केंद्र से मदद नहीं मिलने जैसी कई बातें लिखी थीं, लेकिन राज्यपाल ने उसे भी पढ़ दिया। इससे ऐसा लग रहा है कि अगले साल मई में होने वाले चुनाव तक केरल सरकार को राजभवन की ओर से किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। इससे सरकार और लेफ्ट मोर्चा पूरी ताकत से कांग्रेस से लड़ पाएगा।