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कर्नाटक सरकार की बदले की राजनीति

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कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार इंतजार नहीं करती है। वह तत्काल हिसाब चुकता करती है। एक गैर सरकारी संगठन के सदस्यों ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके परिजनों के खिलाफ शिकायत की और आरोप लगाया कि धोखाधड़ी से मैसुरू शहरी विकास प्राधिकरण यानी मुडा से प्राइम जमीन ली गई है। इस आरोप में सिद्धारमैया के खिलाफ शिकंजा कसता दिखा तो तुरंत उस गैर सरकारी संगठन की ओर से याचिका देने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया। स्नेहमयी कृष्णा याचिकाकर्ताओं में एक अहम चेहरा हैं। जब सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के फैसले को हाई कोर्ट ने सही ठहराया और उसके बाद एक विशेष अदालत के आदेश पर लोकायुक्त पुलिस ने एफआईआर दर्ज की तभी ऐसा संयोग हुआ कि अचानक एक महिला ने सामने आकर स्नेहमयी कृष्णा के ऊपर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगा दिया।

महिला के आरोप लगाते ही पुलिस हरकत में आई और उसने एफआईआर दर्ज करके मीडिया को इसकी जानकारी दी। अब स्नेहमयी कृष्णा कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच शुरू कराने की वजह से उनको फंसाया जा रहा है। लेकिन इससे क्या होता है। पुलिस तो अब कार्रवाई करेगी। ध्यान रहे इसी तरह जब राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सिद्धारमैया के खिलाफ जांच की मंजूरी दी थी तब राज्य सरकार ने आनन फानन में पूर्व मुख्यमंत्रियों बीएस येदियुरप्पा और एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगने की फाइल तैयार करा कर राज्यपाल को भेज दी। यह अलग बात है कि उस पर अनुमति नहीं मिल पाई है।

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